बच्चों के सामने पेरेंट्स कभी भी ना करें ये काम, जिंदगी भर होगा पछतावा

By: Ankur Mon, 04 July 2022 3:13:32

बच्चों के सामने पेरेंट्स कभी भी ना करें ये काम, जिंदगी भर होगा पछतावा

बच्चों को मिलने वाली सीख उन्हीं के घर से शुरू होती हैं और किसी भी चीज में उनके माता-पिता उनके लिए सबसे अच्छे उदाहरण होते हैं। बच्चे छोटे पौधे के समान होते हैं आप उन्हें जैसा ढालेंगे वे वैसा ही फल देंगे। पेरेंट्स हर संभव प्रयास करते हैं कि बच्चों में अच्छे गुणों का संचार हो। लेकिन अनजाने में पेरेंट्स कई ऐसी गलती कर बैठते हैं जिसका बच्चों पर बहुत नकारात्मक असर पड़ता है। ऐसे में पेरेंट्स के लिए यह जानना जरूरी हैं कि वे बच्चों के सामने कैसा व्यवहार ना करें। आपकी कुछ गलतियां आपको जिंदगी भर पछताने पर मजबूर कर सकती हैं जिनका बच्चों पर मानसिक रूप से गहरा असर पड़ता है। आइए जानते हैं क्या हैं वो बातें...

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झूठ बोलने से करें परहेज

अगर आप बच्चों के सामने झूठ बोलेंगे या उन्हें अपने झूठ में शामिल करेंगे तो उनकी नजर में आप अपना सम्मान खो देंगे। इसलिए कोशिश करें कि बच्चों को झूठ और दिखावे से दूर ही रखें, नहीं तो इससे आगे चलकर आपको कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसी के साथ बच्चा भी यह सब अपने सामने देखता है और झूठ बोलना सीख जाता है। उसे लगने लगता है कि झूठ बोलने से काम आसान हो जाता है। इसलिए वह अपने दोस्तों, परिवार से झूठ बोलना शुरू करता है और फिर बड़े बड़े झूठ बोलना शुरू कर देता है।

भाषा की मर्यादा

बच्चा जब बोलना शुरू करता है तो वह वही बोलता है जो आप अक्सर उसके सामने बोलते हैं। माता पिता की भाषा ही एक बच्चा सीखता है। उसे ये पता नहीं होता कि जो वह सुन रहा है उसका क्या मतलब है, वह गलत है या सही। इसलिए माता पिता को अपने बच्चों के सामने मर्यादित भाषा का उपयोग करना चाहिए। ऐसे शब्द न बोलें जो बच्चा सुनकर दोहराए। व्यक्ति की बोली और भाषा बहुत कुछ बयां करती है। इसलिए उन्हें अपनी बोली और भाषा को लेकर ज्यादा सावधानी बरतना चाहिए। भाषा की शैली के साथ ही उसे बोलने के तरीके पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

किसी का अपमान करने से बचें

अक्सर देखा जाता है कि बच्चों के सामने ही उनके माता-पिता आपस में एक दूसरे से लड़ने के साथ एक दूसरे की कमियां निकालने लगते हैं। चाणक्य जी के अनुसार पति-पत्नी को बच्चों के सामने ऐसा करते समय उनके बच्चों की नजर में उनका कोई सम्मान नहीं रह जाता और ऐसे में कई बार ऐसा हो जाता है कि बच्चे भी आपका अपमान करने से नहीं चूकते। इसलिए ऐसा करने से बचें।

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बहस करना

अगर आपका बच्चा हर दिन आपको बहस करते या फिर घर में अक्सर लड़ाई-झगड़ा करते दिखता है तो उसका व्यवहार अपने आप ही हिंसक होता जाएगा। घर में होने वाली लड़ाइयां देखकर बच्चे कहीं ना कहीं खुद को भी दोषी मानने लगते हैं। अगर पेरेंट्स आपस में किसी बात को लेकर विवाद करते भी हैं तो उसे बच्चे के सामने ही अच्छी तरह से सुलझाने की कोशिश करें। इससे बच्चे को सीख मिलती है कि लड़ाई-झगड़े के बिना भी किसी बात का शांति से बातकर के सुलझाया जा सकता है।

व्यवहार न हो गलत

माता-पिता को आपस में बातचीत करते हुए सम्मान और आदर का ध्यान रखना चाहिए। माता पिता का व्यवहार और रहन सहन बच्चे के पालन पोषण पर गहरा असर पड़ता है। अगर माता पिता एक दूसरे, परिवार के दूसरे सदस्यों या दोस्त पड़ोसियों से अच्छे से व्यवहार करते हैं तो बच्चा भी उसी तरह का व्यवहार करना सीखता है। अगर माता पिता अक्सर लड़ते रहते हैं, किसी का अपमान करते हैं, या अक्सर किसी की बुराई करते रहते हैं तो बच्चा भी लोगों से लड़कर बात करता है, दूसरों का सम्मान नहीं करता और दूसरों में बुराई ढूंढता है।

एंटी-सोशल ना बने

शिकागो यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च के अनुसार, अगर आप एक सामाजिक गतिविधियों से दूर रहने वाले यानी एंटी सोशल माता-पिता हैं, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि आपके बच्चे इस खराब आदत को आपसे सीखेंगे और सारी जिंदगी ऐसे ही बिताएंगे। बच्चे पेरेंट्स की ही आदतो को ही अपनाते हैं और उनके असमाजिक होने का असर भी बच्चों पर वैसे ही पड़ता है। इससे बच्चों की सोशल स्किल खराब होती है और वो किसी से मिलजुल नहीं पाते हैं।

दिखावा न करें

कई बार बच्चों के सामने पद प्रतिष्ठा का दिखावा करना माता पिता को महंगा पड़ जाता है। वह रुतबे और पद प्रतिष्ठा की बात अक्सर करते हैं, इससे बच्चे के मन में गलत धारणाएं बनने लगती है। बच्चा घमणी, अपनी मन मर्जी का करने वाला और साथी दोस्तों को अपने से कमतर समझने लगता है। वह गलत काम को भी निडर होकर करने लगता है।

किस भी तरह की हिंसा

घर में होने वाली किसी भी तरह की हिंसा बच्चे की जिंदगी हमेशा के लिए खराब कर सकती है। अब्यूसिव हो या फिजिकल किसी भी तरह के हिंसा का बड़े होते बच्चों पर मानसिक रूप से गहरा असर पड़ता है। बच्चे दुर्व्यवहार करना सबसे पहले अपने पेरेंट्स से ही सीखते हैं। ऐसे बच्चों की बड़े होने पर ड्रग्स या अल्कोहल के आदी होने की संभा

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