आखिर बाथरूम में हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट क्यों आता है, बचना है तो इन बातों का रखे ध्यान
By: Priyanka Maheshwari Wed, 18 May 2022 9:57:46
ज्यादातर लोग अपने जीवन का बहुत कम समय (औसतन 30 मिनट या दिन का 2%) बाथरूम में बिताते हैं। इसके बावजूद बाथरूम एक ऐसी जगह है जहां सबसे ज़्यादा कार्डियेक अरेस्ट या दिल के दौरे के मामले सुनने में आते हैं। ऐसा करीब 8 से 11% मामलों में होता है। बाथरूम बहुत प्राइवेट स्थान होता है और वहां मरीज को फिर से जीवन देने के उपाय देर से हो पाते हैं। बाथरूम में बेहोश होने वाले करीब 8% हैं और सिर्फ 13% मामलों में ही जान बचने की उम्मीद रह पाती है, जो बाथरूम के बाहर होने वाले हार्ट अटैक या कार्डियेक अरेस्ट के मामलों से कहीं कम है। ऐसे में सवाल उठता है कि बाथरूम में हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट क्यों आता है?
हार्ट अटैक क्यों आता है?
दिल का दौरा या हार्ट अटैक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हृदय के उस हिस्से को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिका में अचानक थक्का बनने के कारण हृदय के एक हिस्से को ऑक्सीजन वाला रक्त मिलना बंद हो जाता है। दोनों वजह से किसी इंसान की मौत हो सकती है।
बाथरूम में क्यों आता है अटैक
डॉक्टर के अनुसार, सिम्पेथेटिक और पैरासिम्पेथेटिक औटोनोमिक नर्वस सिस्टम के बीच असंतुलन के कारण तनाव के दौरान रक्तचाप में कमी होती है। इससे दिमाग में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और चेतना का नुकसान होता है। इससे शौचालय में अचानक हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।
अटैक से बचना है तो इन बातों का रखें ध्यान
- मल त्याग के समय अधिक जोर लगाने या मूत्र विसर्जन के समय खुद पर दबाव बढ़ाने से बचना चाहिए। ऐसे में आप तनाव मुक्त होकर आराम से निवृत हों।
- ज्यादा गर्म या ज्यादा ठंडा पानी पीने से बचें।
- सीधे सिर पर पानी डालना शुरू न करें। पैर या कंधा धोना शुरू करें और धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ें।
- बाथरूम में ठंडे वातावरण के संपर्क में आने से बचें, खासकर सर्दियों में, क्योंकि इससे दिल का दौरा पड़ सकता है। खासतौर से सर्दियों में इस तरह के ठंडे वातावरण से बचें। इससे हार्ट अटैक हो सकता है।
- यदि आपको पहले दिल का दौरा पड़ चुका है, बुढ़ापा है, हृदय पंप करने की शक्ति कमजोर है, तो शौचालय का उपयोग करते समय दरवाजे को बंद न करें। बाथरूम जाते समय अपने निकटतम रिश्तेदार को बताएं ताकि जरूरत पड़ने पर वह आपकी सहायता के लिए तुरंत आ सकें। जोखिम वाले मरीजो को अपने बाथरूम में अर्लाम की व्यवस्था रखनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल मदद के लिए पुकार लगाई जा सके और जान बचाई जा सके।