बॉलीवुड से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। प्रसिद्ध अभिनेता और फिल्म निर्देशक मनोज कुमार का 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरे फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। फैंस और सेलेब्स सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। मनोज कुमार पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार सुबह उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। हिंदी सिनेमा में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी देशभक्ति पर आधारित फिल्मों ने उन्हें 'भारत कुमार' की पहचान दिलाई थी।
फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने दी श्रद्धांजलि
फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने मनोज कुमार के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "महान दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता, हमारे प्रेरणास्रोत और भारतीय फिल्म उद्योग के 'शेर' मनोज कुमार जी अब हमारे बीच नहीं रहे... यह इंडस्ट्री के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। पूरी फिल्म इंडस्ट्री उन्हें याद करेगी।"
Indian actor and film director Manoj Kumar, particularly known for his patriotic films and the nickname Bharat Kumar, passes away at the age of 87 at Kokilaben Dhirubhai Ambani Hospital. pic.twitter.com/nHvvVDT2CY
— ANI (@ANI) April 4, 2025
#WATCH | Mumbai | On the demise of Indian actor and film director Manoj Kumar, Filmmaker Ashoke Pandit says, "...The legendary Dadasaheb Phalke award winner, our inspiration and the `lion` of the Indian film industry, Manoj Kumar Ji is no more...It is a great loss to the industry… pic.twitter.com/vWL7FRI44D
— ANI (@ANI) April 4, 2025
'भारत कुमार' के नाम से मशहूर थे मनोज कुमार
24 जुलाई, 1937 को हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी के रूप में जन्मे मनोज कुमार हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक थे। उन्हें देशभक्ति थीम पर आधारित फिल्मों में उनके बेहतरीन अभिनय और निर्देशन के लिए जाना जाता था। उनकी "शहीद" (1965), "उपकार" (1967), "पूरब और पश्चिम" (1970), और "रोटी कपड़ा और मकान" (1974) जैसी फ़िल्मों ने उन्हें 'भारत कुमार' की उपाधि दिलाई। हालांकि, उनकी पहचान सिर्फ देशभक्ति फिल्मों तक ही सीमित नहीं थी। उन्होंने "हरियाली और रास्ता", "वो कौन थी", "हिमालय की गोद में", "दो बदन", "पत्थर के सनम", "नील कमल" और "क्रांति" जैसी मशहूर फ़िल्मों में भी अभिनय किया। मनोज कुमार आखिरी बार 1995 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘मैदान-ए-जंग’ में नज़र आए थे।
दादा साहब फाल्के अवॉर्ड
भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए मनोज कुमार को 1992 में पद्मश्री और 2015 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अपने काम से उन्होंने सभी का दिल जीता।