पापांकुशा एकादशी का व्रत दिलाता हैं यमलोक में मिलने वाली यातनाओं से मुक्ति, जानें इसकी पूजन विधि

By: Ankur Sat, 16 Oct 2021 08:11:43

पापांकुशा एकादशी का व्रत दिलाता हैं यमलोक में मिलने वाली यातनाओं से मुक्ति, जानें इसकी पूजन विधि

आज 16 अक्‍टूबर को अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी पड़ रही है जिसका पुराणों में बहुत महत्व बताया गया हैं। इसके नाम से ही पता चलता हैं कि इस दिन किए गए व्रत से पापों का नाश होता हैं और यह मनुष्‍य को मोक्ष प्रदान करती हैं। इस दिन की गई भगवान विष्‍णु की पूजा से मरने के बाद यमलोक में मिलने वाली यातनाओं से मुक्ति मिलती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको पापांकुशा एकादशी के शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
ऐसे रखा जाता है एकादशी का व्रत

शास्‍त्रों में बताया गया है कि एकादशी का दशमी तिथि की शाम से ही आरंभ माना जाता है। यानी व्रत रखने वालों को दशमी तिथि की शाम से ही नियम संयम पालन शुरू कर देना चाहिए। उसके अगले दिन सुबह सूर्य को अर्घ्‍य देकर विष्णु भगवान की पूजा शुरू करनी चाहिए और व्रत करने का संकल्‍प लेना चाहिए। एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

astrology tips,astrology tips in hindi,papankusha ekadashi 2021,lord vishnu

व्रत का शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि का आरंभ : 15 अक्‍टूबर की शाम को 6 बजकर 5 मिनट पर
एकादशी तिथि का समापन : 16 अक्‍टूबर शनिवार की शाम को 5 बजकर 37 मिनट पर
एकादशी व्रत का पारण : रविवार 17 अक्‍टूबर की सुबह 6 बजकर 28 मिनट से 8 बजकर 45 मिनट तक

पापांकुशा एकादशी का महत्‍व

साल भर में पड़ने वाली सभी एकादशी का अपना महत्‍व होता है। इसी प्रकार से पापांकुशा एकादशी भी बहुत खास मानी जाती है। मान्‍यता है कि इस दिन व्रत करने वाले व्‍यक्ति नरक से दूर रहते हैं और उन्‍हें यमलोक में किसी भी प्रकार की यातनाएं नहीं सहन करनी पड़ती हैं। इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। व्रत करने वाले लोगों को एक बात का ध्‍यान रखना चाहिए कि उन्‍हें दशमी के दिन से ही गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की दाल का सेवन बंद कर देना चाहिए।

astrology tips,astrology tips in hindi,papankusha ekadashi 2021,lord vishnu

पापांकुशा एकादशी व्रत की पूजाविधि

- सबसे पहले सुबह भोर में ही उठकर स्‍नान कर लें।
- उसके बाद पीले वस्‍त्र धारण करें और तुलसी को कच्‍चे दूध से सीचें।
- उसके बाद भगवान विष्‍णु का गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी से अभिषेक करें।
- पुष्‍प, जनेऊ, तुलसी दल चढ़ाएं। अगर आप व्रत नहीं भी करते हैं तो भी इस विधि से पूजा करें। उसके बाद आरती करें।
- पूजा करने के बाद भगवान विष्‍णु को पीली मिठाइयों का भोग लगा सकते हैं। भोग में तुलसी के पत्‍ते जरूर डालें। भगवान विष्‍णु के साथ इस दिन माता लक्ष्‍मी का भी स्‍मरण करें।

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। lifeberrys हिंदी इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले विशेषज्ञ से संपर्क जरुर करें।)

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com