सालभर की सभी एकादशियों में से निर्जला एकादशी का खास महत्व होता है। हर माह शुक्ल और कृष्ण पक्ष में दो एकादशी व्रत रखने की परंपरा है। इन्हीं एकादशी व्रत में सबसे कठिन निर्जला एकादशी का व्रत माना गया है। निर्जला एकादशी पर भक्त बिना जल पिए भगवान विष्णु की आराधना करते हैं और पूरा दिन व्रत रखते हैं। यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त यह व्रत रखता है उसे श्री हरि की विशेष कृपा मिलती है। अगर आप सालभर में आने वाली 24 एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते हैं तो सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत रखने से ही आपको सभी एकादशियों का लाभ मिल जाता है।
भारत में कई वर्षों से एकादशी व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है। महाभारत काल में वेदव्यास जी ने भीम को इस व्रत की महिमा बताई थी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त एकादशी व्रत रखता है तथा श्रीहरि की पूजा करता है उसके सभी पाप मिट जाते हैं। इसके साथ भक्तों को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तों को मरने के बाद स्वर्ग में जगह मिलती है।
निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त और पारण का समय
निर्जला एकादशी शुक्रवार, जून 10, 2022 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ - जून 10, 2022 को सुबह 07:25 मिनट से शुरू
एकादशी तिथि समाप्त - जून 11, 2022 को सुबह 05:45 मिनट पर समाप्त
निर्जला एकादशी पारण का समय- सुबह 05:49 मिनट से 08:29 मिनट तक
निर्जला एकादशी पर करें इन चीजों का दान
निर्जला एकादशी के दिन अनाज, जल, कपड़े, आसन, जूता, छतरी और फल का दान करना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन तिल और जल से भरे कलश का दान करने से श्रद्धालुओं को सालभर की सभी एकादशियों का लाभ मिलता है।
निर्जला एकादशी के व्रत के दौरान करें ये काम
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। इसके बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करें। उन्हें पीले फूल, पंचामृत अर्पित करें। इस दिन एक घूंट भी जल का सेवन नहीं करना होता। इस दिन जल और जल से भरे पात्र का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। अगर आपका स्वास्थ्य सही नहीं है तो ऐसी स्थिति में आप दिनभर उपवास के दौरान गुनगुने पानी में नींबू डालकर सेवन कर सकते हैं। अगर आप बिल्कुल भी उपवास नहीं रख सकते हैं तो उपवास के दौरान फल भी खा सकते हैं। इस दिन श्री हरि और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। एकादशी के दिन रात में सोना नहीं चाहिए। इस दिन रातभर भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए।
इन चीजों का सेवन से व्रत हो सकता है भंग
निर्जला एकादशी के दिन चावल, नमक के अलावा बैंगन, मूली, प्याज, लहसुन और मसूर की दाल जैसे अशुद्ध चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत में इन चीजों का सेवन करने से व्रत भंग हो सकता है।
ऐसे खोले व्रत
निर्जला एकादशी के दिन पूरे समय 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का मानसिक जाप करते रहना चाहिए। द्वादशी के दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन साधारण भोजन पूड़ी, हलवा, सब्जी के साथ आम का फल व जल रखकर भगवान विष्णु की अराधना करते हुए पहले जल ग्रहण करें, फिर भोजन शुरू करना चाहिए। इस दिन भोजन करने से पहले गरीबों को भोजन दान करना भी शुभ माना जाता है।
जानिए क्या मिलता है फल
मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत सभी तीर्थों में स्नान करने के समान होता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत रखने से इंसान सभी पापों से मुक्ति पा जाता है, जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है साथ ही मरणोपरांत स्वर्ग की प्राप्ति भी होती है। इस व्रत में गोदान, वस्त्र दान, फल व भोजन दान का काफी महत्व होता है। इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद ब्राह्मणों को भोज कराना भी शुभ माना जाता है।