आजकल छोटे-छोटे बच्चों के हाथों में मोबाइल फोन होना कोई असामान्य बात नहीं रह गई है। माता-पिता अक्सर यह सोचते हैं कि "थोड़ी देर वीडियो देखने दो, चुप तो रहेगा।" लेकिन यहीं से बच्चों में मोबाइल की लत की शुरुआत होती है, जो धीरे-धीरे उनके व्यवहार और मानसिक विकास पर गहरा प्रभाव डालती है। क्या आपने कभी यह गौर किया है कि लगातार फोन इस्तेमाल करने से आपके बच्चे का व्यवहार कुछ बदला-बदला सा लग रहा है? यदि आपका बच्चा दिनभर मोबाइल में घुसा रहता है और पहले जैसा व्यवहार नहीं करता, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। आइए जानते हैं ऐसे 5 बदलाव जो बच्चों में अधिक स्क्रीन टाइम की वजह से देखे जाते हैं।
1. चिड़चिड़ापन और जल्दी गुस्सा आना
मोबाइल फोन से बच्चे को तत्काल मनोरंजन और रिवॉर्ड मिल जाता है। जब उससे फोन लिया जाता है या उसे इससे दूर किया जाता है, तो वह गुस्से में आ जाता है। छोटी-छोटी बातों पर चिल्लाना, नाराज हो जाना या ज़िद करना इस व्यवहार का हिस्सा बन जाता है। यह चिड़चिड़ापन धीरे-धीरे स्वभाव में बस जाता है, जो रिश्तों और सीखने की प्रक्रिया दोनों पर नकारात्मक असर डालता है।
2. सोशल स्किल्स में गिरावट
मोबाइल की आभासी दुनिया में खोए रहने के कारण बच्चे धीरे-धीरे वास्तविक दुनिया से दूरी बनाने लगते हैं। वे रिश्तेदारों या दोस्तों से मिलने पर असहज हो जाते हैं या बातचीत करने से बचने लगते हैं। यह आदत उन्हें अकेलेपन की ओर ले जाती है और उनकी सामाजिक विकास प्रक्रिया थम जाती है। जो बच्चा पहले हंसता-बोलता था, वो अब चुप-चुप और अलग-थलग नजर आने लगता है।
3. ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी
स्क्रीन पर लगातार नजरें गड़ाए रहने से बच्चों की एकाग्रता शक्ति प्रभावित होती है। वे कुछ मिनटों में ही किसी भी काम से ध्यान हटाने लगते हैं। खासतौर पर स्कूल या पढ़ाई के समय उनका फोकस टूटता है और उन्हें पढ़ी हुई चीजें याद नहीं रहतीं। भूलने की आदत, होमवर्क में मन न लगना और छोटे-छोटे निर्देशों को न समझना भी इसकी निशानी हो सकती है।
4. नींद से जुड़ी समस्याएं
मोबाइल फोन की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट नींद के हार्मोन मेलाटोनिन को प्रभावित करती है, जिससे नींद की गुणवत्ता गिरती है। ऐसे बच्चे रात को देर तक जागते हैं और सुबह देर से उठते हैं, जिससे उनका पूरा रूटीन बिगड़ जाता है। नींद पूरी न होने से उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन और थकावट बनी रहती है, जिससे वे बीमार भी पड़ सकते हैं।
5. जिद्दी और असहयोगी व्यवहार
मोबाइल की आदत बच्चों को जिद्दी बना देती है। वे हर बात पर 'ना' कहने लगते हैं और अपनी मनमानी पर अड़े रहते हैं। माता-पिता की बातों को अनसुना कर देना, घर के नियमों का पालन न करना और छोटी-छोटी बातों पर झगड़ना एक आम बात हो जाती है। यह रवैया उन्हें असहयोगी और विद्रोही बना सकता है, जो आगे चलकर उनके व्यक्तित्व को प्रभावित करता है।
पैरेंट्स क्या करें?
- बच्चों को मोबाइल स्क्रीन सीमित समय के लिए ही दें और उनका एक टाइम-टेबल बनाएं।
- खुद भी फोन का उपयोग कम करके एक आदर्श उदाहरण बनें।
- बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं—बाहर खेलें, कहानियां सुनाएं या क्रिएटिव एक्टिविटीज कराएं।
- सोने से कम से कम एक घंटा पहले मोबाइल और अन्य स्क्रीन डिवाइस बंद कर दें, ताकि नींद की गुणवत्ता बनी रहे।