जब हम मंदिर की ओर कदम बढ़ाते हैं, तो दिल में एक अलग ही सुकून और श्रद्धा का भाव होता है। घंटों की भागदौड़ के बाद जब कोई शांति की तलाश में मंदिर पहुंचता है, तो वहां की पवित्रता मन को ठहराव देती है। भगवान की आरती, धूप-दीप की खुशबू, मंत्रों की गूंज—ये सब मिलकर हमारे अंदर की सारी नकारात्मकता को जैसे बहा ले जाते हैं।
हम हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखते हैं—कभी चढ़ावे की मिठाई भगवान की पसंद से लाते हैं, तो कभी आरती का समय जानकर ही जाते हैं। लेकिन, अफसोस की बात ये है कि लौटते वक्त हम अक्सर कुछ ऐसी अनजानी भूल कर बैठते हैं, जो हमारे द्वारा संजोई गई उस सकारात्मक ऊर्जा को वहीं मंदिर परिसर में छोड़ आती हैं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि हम जानें—आखिर किन बातों का ध्यान मंदिर से लौटते समय विशेष रूप से रखना चाहिए।
1. लौटते वक्त भूलकर भी न बजाएं मंदिर की घंटी
अक्सर देखा गया है कि लोग मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद वापसी करते हुए भी प्रवेश द्वार पर लगी घंटी बजा देते हैं। यह एक सामान्य सी आदत लग सकती है, लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार यह सही नहीं माना जाता। माना जाता है कि जब हम मंदिर में प्रवेश करते हैं और घंटी बजाते हैं, तो वह हमारे आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर देती है और एक नई, पवित्र ऊर्जा का संचार होता है। लेकिन जब हम वापसी में घंटी बजाते हैं, तो वह सकारात्मक ऊर्जा मंदिर परिसर में ही छूट जाती है और हमारे साथ नहीं आती। इसलिए लौटते वक्त घंटी बजाने से बचें।
2. मंदिर से कभी न लौटें खाली हाथ
जब हम मंदिर जाते हैं, तो फूल, अगरबत्ती, दीया, मिठाई जैसे भोग लेकर जाते हैं और भगवान को अर्पित करते हैं। यह हमारे श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। मगर ध्यान रखें कि मंदिर से लौटते समय आपको बिल्कुल खाली हाथ नहीं आना चाहिए। प्रसाद का एक छोटा हिस्सा या कुछ फूल अपने साथ जरूर लेकर आएं। अगर आपने शिवजी को जल चढ़ाया है, तो थोड़ा सा जल घर के लिए बचा लें। यह माना जाता है कि भगवान का आशीर्वाद केवल मंदिर तक सीमित नहीं रहना चाहिए, वह आपके घर तक भी पहुंचना चाहिए। खाली हाथ लौटना कई बार शुभ संकेत नहीं माना जाता।
3. घर आकर तुरंत न धोएं हाथ-पैर
हममें से अधिकतर लोग मंदिर से आने के तुरंत बाद हाथ-पैर धोने की आदत में होते हैं। स्वच्छता के लिहाज से यह ठीक है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह सही नहीं है। कहा जाता है कि मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा आपके शरीर से होकर गुजरती है और अगर आप घर आते ही हाथ-पैर धो देते हैं, तो वो ऊर्जा बह जाती है। अगर आपके पैर गंदे हैं, तो पहले उन्हें कपड़े से साफ कर लें, कुछ समय बाद पानी से धो लें। इससे मंदिर की ऊर्जा आपके भीतर थोड़ी देर और बनी रहेगी और घर का माहौल भी सकारात्मक बना रहेगा।
अंत में यही कहेंगे कि मंदिर जाना जितना पवित्र होता है, उससे लौटना भी उतना ही सावधानी भरा होना चाहिए। जो ऊर्जा और शांति आपने वहां पाई है, उसे अपने साथ घर तक लाना ही सच्चा उद्देश्य होना चाहिए।