आमलकी एकादशी व्रत पूर्ण करता हैं सभी मनोकामनाएं, जानें इसकी कथा और महत्व
By: Ankur Mundra Tue, 23 Mar 2021 08:55:19
आने वाली 25 मार्च, गुरुवार को फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि हैं जिसे आमलकी एकादशी व्रत के रूप में जाना जाता हैं। आमलकी एकादशी का व्रत आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाता हैं और मनोकामनाओं की पूर्ती करवाता हैं। होली से पहले पड़ने वाली इस एकादशी में आंवले का बहुत महत्व मानते हुए इसके पेड़ की पूजा भी की जाती हैं। आज इस कड़ी में हम आपके लिए आमलकी एकादशी व्रत की कथा और महत्व से जुड़ी जानकारी लेकर आए हैं जो आपके जीवन में सुख-समृद्धि लाने का काम करेगी। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
आमलकी एकादशी व्रत कथा
आमलकी एकादशी का व्रत करके कथा करनी चाहिए। जो कि इस प्रकार है कि एक दिन महाराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के महत्व के बारे में पूछा। तब भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि इस एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं। कथा मिलती है एक बार भगवान विष्णु ने जब अवज्ञा प्रकट की तो उससे चंद्रमा के समान कांतिमान एक बिंदु धरा पर प्रकट हुई। उससे आंवले का पौधा उत्पन्न हुआ। उसी समय भगवान विष्णु ने प्रजा की सृष्टि के लिए भगवान ब्रह्मा की उत्पत्ति की। साथ ही देवता, गंधर्व, यक्ष, राक्षस और दानवों की भी उत्पत्ति की। तब सभी उसी पौधे के पास गए। उसे देखकर सभी हैरान थे। क्योंकि इससे पहले वह ऐसे किसी भी पौधे के बारे में नहीं जानते थे। तभी आकाशवाणी हुई कि ऋषियों यह पौधा समस्त पौधों में श्रेष्ठ आमलक है। जो कि भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। यही नहीं आंवले के स्मरण मात्र से ही गोदान का पुण्य मिलता है। वहीं स्पर्श करने से दोगुना और खाने से तीन गुना पुण्य का फल मिलता है।
इसलिए महत्वपूर्ण है आंवले का वृक्ष
आंवले के वृक्ष को पापों को हरने वाला बताया गया। कथा आगे बढ़ी कि इसके मूल में भगवान विष्णु, ब्रह्मा और भगवान भोलेनाथ विराजते हैं। शाखाओं में मुनि, टहनियों में देवता, पत्तों में वसु और फलों में सभी प्रजापति निवास करते हैं। इसलिए जो भी इस आंवले के पौधे या फिर वृक्ष की पूजा करते हैं उन्हें भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। तभी सभी ने उस आकाशवाणी से पूछा कि आप कौन है? तब आवाज आई कि जो भूतों के ज्ञाता तथा वर्तमान एवं भविष्य का कर्ता है, जो अदृश्य अवस्था में हर जगह व्याप्त है। मैं वही विष्णु हूं। सभी ने आकाशवाणी को प्रणाम किया।
तब श्रीहरि ने दिया ऐसा वरदान
भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर सभी से वरदान मांगने को कहा। इसपर सभी ऋषियों ने कहा कि यदि आप प्रसन्न हैं तो कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। इसके बाद भगवान विष्णु बोले कि फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत जो भी करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
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