Rakhi 2018 : ऐसा आदिवासी क्षेत्र जहां पूरे 3 महीने तक मनाया जाता है रक्षाबंधन
By: Ankur Sat, 25 Aug 2018 1:38:28
रक्षाबंधन का त्योंहार सावन मास की पूर्णिमा को पूरे देश में मनाया जाता हैं। हांलाकि मारवाड़ी लोग दो दिन रक्षाबंधन का त्योंहार मनाते हैं, सावन पूर्णिमा और ऋषिपंचमी के दिन। लेकिन हमारे देश में एक ऐसा समुदाय भी हैं जो रक्षाबंधन का त्योहार एक दिन के लिए नहीं मनाता है, बल्कि साढ़े तीन माह तक रक्षाबंधन का त्योंहार चलता है। जी हाँ, विश्वास नहीं होता हैं लेकिन ऐसा सच में हैं। हम बात कर रहे हैं सैलाना क्षेत्र के आदिवासी समुदाय की। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
यहाँ यह त्योहार श्रावण की अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक सुदी चौदस पर जाकर खत्म होता है। अपने-अपने हिसाब से बहन-बेटियों को इन दिनों में अपने मायके लाया जाता है। ऐसा नहीं है कि श्रावण मास की पूर्णिमा को यह लोग राखी नहीं मनाते हैं। दरअसल, ज्यादातर बहन-बेटियां तो इसी दिन परंपरानुसार अपने भाई को राखी बांधने मायके पहुंच जाती हैं, पर यदि किन्हीं कारणों से यह संभव न हो पाए, तो राखी मनाने की साढ़े तीन माह तक पूरी छूट इन्हें है।
बहन-बेटियां भी मायके मिठाई व राखी लेकर आती हैं। वैरायटी व कीमत पर न जाएं हम। प्रेमपूर्वक राखी बांधने व बदले में उपहार के रूप में कपड़े या नकदी पाने की रीत यहां भी है। खाने में हलवा, पूरी, पकौड़ी या जो कुछ भी संबंधित की क्षमता हो, सब यहां भी बनाया जाता है। ग्राम पहाड़ी बंगला के हिन्दू खराड़ी व ओंकार खराड़ी बताते हैं पूरे रस्मो-रिवाज से आदिवासी समुदाय भी मौत में शोक की राखी रखने जाते हैं यानी मायके में कोई गमी होने पर शोक की राखी लेकर भी बहन-बेटियां जाती हैं।
आदिवासी समुदाय में सुबह से शाम तक राखी मनती है। सुबह बहन-बेटियां भाइयों, भतीजों को राखी बांधती हैं और शाम को परिवार के सभी लोग घर के दरवाजों पर, खाट, हल व खल पर अन्य कृषि औजारों पर, पशुओं पर राखी बांधते हैं।
एक और अनूठी परंपरा आदिवासी समुदाय में है। शादी के बाद जब बेटी की पहली राखी आती है तो बेटी के मायके के 40 से 50 लोग बेटी के ससुराल इसे लिवाने जाते हैं। तब बेटी के ससुराल वाले अपनी क्षमता के मान से भोज का आयोजन कर सभी को ससम्मान विदा देते हैं। इसे आदिवासी भाषा में 'पाली' लेकर जाना कहते हैं।