कोटेश्वर महादेव मंदिर - सिर्फ पूजा करने मात्र से ही मिलता है एक करोड़ शिवलिंग के जलाभिषेक का फल

By: Ankur Mundra Fri, 10 Aug 2018 4:24:21

कोटेश्वर महादेव मंदिर - सिर्फ पूजा करने मात्र से ही मिलता है एक करोड़ शिवलिंग के जलाभिषेक का फल

श्रावण मास में देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए लोग कई पूजा-पाठ और हवन करते हैं। इसी के साथ लोग सावन के इस महीने में भगवान शिव के प्रसिद्द मंदिरों के दर्शन करना भी पसंद करते हैं। देश भर में भगवान शिव के कई मंदिर हैं। इन्हीं में से एक है कोटेश्वर महादेव मंदिर। इस मंदिर की महिमा ही निराली हैं। इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि इस मंदिर में जल चढ़ाने पर व्यक्ति को एक करोड़ शिवलिंग की पूजा का फल मिलता है। अब ऐसा पावन मंदिर हो तो कौन इसके बारे में नहीं जानना चाहेगा। आइये जानते हैं इस मंदिर की कथा के बारे में।

भगवान श्री राम द्वारा न सिर्फ रामेश्वरम में पार्थिव पूजन किया था बल्कि तीर्थराज में भी उन्होंने एक शिवलिंग स्थापित किया था। प्रयाग के संगम से कुछ दूर गंगा किनारे स्थित है भगवान शिव का यह पावन धाम। भगवान शिव को समर्पित यह तीर्थ कोटितीर्थ के नाम से भी जाना जाता है।

भगवान राम जब लंका पर विजय प्राप्त करके वापस लौटते समय प्रयाग पहुंचे तो उन्होंने भारद्वाज मुनि से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लेने की अनुमति मांगी लेकिन भारद्वाज मुनि ने उनको आशीर्वाद देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि उन्होंने ब्रह्म हत्या की है।

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तब भगवान राम ने इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा। इस पर भारद्वाज मुनि ने उन्हें प्रयाग के उत्तर में गंगा नदी के किनारे एक करोड़ शिवलिंग स्थापित करने को कहा। इस पर भगवान श्री राम ने भारद्वाज मुनि से एक करोड़ शिवलिंग बनाए जाने के बाद उसकी निरंतर पूजन आदि की चिंता जताई। तब भारद्वाज मुनि ने कहा, मां गंगा के रेत का एक कण एक शिवलिंग के बराबर है, इसलिए आप गंगा के रेत से शिवलिंग बनाएं।
इस प्रकार भगवान श्रीराम ने गंगा की रेत से शिवलिंग बनाकर पूजन किया और उसके बाद पापमुक्त होकर भारद्वाज मुनि का आशीर्वाद प्राप्त किया। भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित इस शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि इसमें एक पुष्प, एक लोटा जल आदि चढ़ाने से एक करोड़ गुना फल प्राप्त होता है। भगवान शिव के इस मंदिर के नाम पर न मंदिर क्षेत्र का नाम शिवकुटी पड़ा। सावन के महीने में यहां पर बड़ा मेला लगता है। जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पर दर्शन करने आते हैं।

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