RBI का दिवाली तोहफा, घटाई ब्याज दर, आपकी जेब पर होगा ये असर

By: Pinki Fri, 04 Oct 2019 12:47:50

RBI का दिवाली तोहफा, घटाई ब्याज दर, आपकी जेब पर होगा ये असर

RBI (Reserve Bank of India) ने आज यानि शुक्रवार को लोगों को दिवाली तोहफा दिया है। मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश करते हुए RBI ब्याज दरें (Repo Rate Cut) 0.25 फीसदी घटाने का ऐलान किया है। रेपो रेट घटकर अब 5.15 फीसदी रह गई है। इसके साथ ही इस साल अब तक ब्याज दर में 1.35 फीसदी तक की कटौती हो चुकी है। इस फैसले के बाद आम लोगों के लिए बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा। रेपो रेट घटने के बाद बैंक भी ब्याज दर घटाएंगे और लोगों के होम लोन, ऑटो लोन आदि की ईएमआई कम हो जाएगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि महंगाई दर आरबीआई के तय दायरे में है। ऐसे में अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए रेपो रेट घटाने की उम्मीद पहले से थी। आपको बता दें कि RBI ने अगस्त पॉलिसी में ब्याज दरें 0.35 फीसदी घटाई थी। उम्मीद है कि बैंक दिवाली से पहले इसका फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएंगे। इसके साथ ही रिवर्स रेपो रेट यानी जो ब्याज बैंकों को रिजर्व बैंक के पास फंड रखने में मिलता है, उसको भी घटाकर 4.90 फीसदी कर दिया गया है।

कितना होगा EMI पर फर्क

मान लीजिए कि रेपो रेट में कटौती के बाद कोई बैंक होम लोन (Home Loan) की ब्याज दर 0.25 फीसदी की कटौती करता है तो उससे 25 लाख रुपये तक के 20 साल के लोन की ईएमआई हर महीने करीब 400 रुपये कम हो जाएगी। अगर आपने 25 लाख रुपये तक का होम लोन 20 साल के लिए लिया है और ब्याज दर 8.35 फीसदी तक है, तो अभी आपकी हर महीने कटने वाली ईएमआई 21,459 रुपये होती है। लेकिन अगर ब्याज दर घटकर 8.10 फीसदी रह जाए तो इसी होम लोन पर ब्याज दर 21,067 रुपये हो जाएगी।

क्या होती है रेपो रेट


जिस रेट यानी ब्याज दरों पर RBI कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट (Repo Rate) कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम हाने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं। रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति कमिटी (MPC) इसके बारे में निर्णय लेती है।

MPC क्या है

MPC का गठन 2016 में हुआ था। इसके लिए वित्त विधेयक के जरिए आरबीआई एक्ट में संसोधन किया गया था। यह समिति आर्थिक विकास को देखते हुए नीतिगत दरें तय करती है। इसमें महंगाई की दर का खास ध्यान रखा जाता है। मौद्रिक नीति समिति में आरबीआई के गवर्नर सहित 6 विशेषज्ञ होते हैं। इसमें तीन सदस्य केंद्र सरकार और तीन आरबीआई के होते है। समिति की अध्यक्षता गवर्नर करते हैं। समिति के हर सदस्य की सदस्यता चार वर्षों के लिए होती है। इस समिति के लिए वर्ष में कम से कम चार बैठकें करना जरूरी है। आरबीआई का मौद्रिक नीति विभाग मौद्रिक नीति तैयार करने में एमपीसी की मदद करता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ आरबीआई अकेला ही मौद्रिक नीति समिति के जरिए अर्थव्यवस्था में बैंकिंग प्रणाली पर नजर रखता है।

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने अगस्त में मौद्रिक नीति समीक्षा की थी और तब भी ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की कटौती की गई थी। इस बीच आर्थ‍िक परिस्थ‍ितियों में काफी बदलाव आया है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5 फीसदी रह गई है, जिस पर RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी अचरज किया था। इसके बाद सरकार ने चौंकाते हुए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती कर दी थी, जिससे सरकार के खजाने में 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी होने का अनुमान है। इसके अलावा पीएमसी बैंक के संकट से वित्तीय प्रणाली की अनिश्चितता बढ़ गई।

इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5 फीसदी रह गई है और पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ महज 6.8 फीसदी रही है। रिजर्व बैंक ने पहली तिमाही में 5.8 फीसदी ग्रोथ होने का अनुमान लगाया था, लेकिन यह पूरी तरह से गलत साबित हुआ।

इसके अलावा अर्थव्यवस्था की सुस्ती और कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से वित्तीय घाटे के मोर्चे पर नए तरह की चिंताएं खड़ी हुई हैं। राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.3 फीसदी के लक्ष्य को पार कर जाने की आशंका है। ज्यादा राजकोषीय घाटे से महंगाई बढ़ सकती है।

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