जब संख्या और समर्थन नहीं था, तो अविश्वास प्रस्ताव लाया ही क्यों गया? सरकार को गिराने का इतना उतावलापन क्यों? : पीएम मोदी

By: Pinki Sat, 21 July 2018 09:04:45

जब संख्या और समर्थन नहीं था, तो अविश्वास प्रस्ताव लाया ही क्यों गया? सरकार को गिराने का इतना उतावलापन क्यों? : पीएम मोदी

मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के पहला अविश्वास प्रस्ताव (No-confidence motion) गिर गया है। प्रस्‍ताव पर दिनभर हुई चर्चा के बाद इसपर वोटिंग कराई गई। अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ 325 सांसदों ने ना में अपना जवाब दिया। प्रस्ताव के समर्थन में 126 सांसद आए। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष द्ववारा उठाए गए सभी सवालों का चुन-चुन कर जवाब दिया। उन्‍होंने कांग्रेस पर देश में अस्थिरता थोपने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव लोकतंत्र की ताकत का प्रतीक है, लेकिन देश ने आज नकारात्मक राजनीति देखी। यह अविश्वास प्रस्ताव देश में अस्थिरता फैलाने के लिए लाया गया। कांग्रेस में विकास के प्रति विरोध का भाव है। नकारात्मक राजनीति ने कुछ लोगों को बांधकर रखा है। उन सभी की सच्चाई सामने आई है।

मोदी ने सवाल उठाया कि जब संख्या और समर्थन नहीं था, तो अविश्वास प्रस्ताव लाया ही क्यों गया? सरकार को गिराने का इतना उतावलापन क्यों ? अगर जल्दी चर्चा नहीं होती तो क्या हो जाता ? क्या भूकंप आ जाता ? फिर कहा कि यह देश में अस्थिरता फैलाने के लिए लाया गया। प्रधानमंत्री ने शेर पढ़ा, ‘न मांझी, न रहबर, न हक में हवाएं, है कश्ती भी जर्जर, ये कैसा सफर है ?’ पीएम के अंदाज और रणनीति से ऐसा लगता है कि 2019 के चुनाव प्रचार में राहुल गांधी के सामने कांग्रेस के पुराने कारनामों से ही उबरने की बड़ी चुनौती होगी। जिस प्रकार से कांग्रेस इमरजेंसी के मुद्दे पर डिफेंसिव हो जाती है उसी तरह से कई बड़े नेताओं को किनारे लगाने के मसले पर भी उसे बीजेपी घेरेगी। इसका संकेत खुद पीएम मोदी ने दे दिया है।

राहुल के सवाल मोदी के जवाब

- राफेल सौदे में करीबी को 35 हजार करोड़ का फायदा पहुंचाया : राहुल

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल सौदे में संप्रग सरकार के कार्यकाल में एक विमान की कीमत 520 करोड़ रुपये थी। अचानक इसे 1600 करोड़ रुपये कर दिया। पीएम ने इसका कांट्रेक्ट एचएएल से लेकर अपने एक करीबी को दिया। उन्हें सीधे 35,000 करोड़ का लाभ पहुंचाया। दोनों देशों के बीच सौदे की जानकारी सार्वजनिक करने पर पाबंदी को लेकर कोई समझौता नहीं था। उन्होंने दावा किया कि खुद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने उन्हें इसकी जानकारी दी। पीएम ने कहा कि यहां राफेल सौदे पर बात हुई। ये दुखद है कि बिना सबूत सदन में लगाए गए झूठे आरोपों पर दूसरे देश को बयान जारी कर खंडन करना पड़ा। ये समझौता दो व्यापारियों के बीच नहीं बल्कि दो देशों के बीच हुआ है। पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ है। क्या हम ऐसी बचकानी हरकत करते रहेंगे? कुछ जिम्मेदारी है या नहीं? क्या हम बिना सबूत के ऐसे ही चिल्लाते रहेंगे? हर बार जनता ने आपको जवाब दिया। सुधरने का मौका दिया है। सुधरने की कोशिश कीजिए। क्या हर जगह बचकाना हरकत ही करते रहोगे ?’

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- चौकीदार नहीं भागीदार हैं प्रधानमंत्री : राहुल

सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए राहुल ने कहा कि पीएम चौकीदार नहीं भागीदार हैं। नोटबंदी के दौरान भाजपा अध्यक्ष के बेटे की कंपनी को 16,000 गुना लाभ हुआ, लेकिन पीएम ने चुप्पी नहीं तोड़ी। प्रधानमंत्री का कुछ कारोबारियों के साथ क्या रिश्ता है? सभी को पता है कि प्रधानमंत्री की मार्केटिंग के लिए लगाया जाने वाला पैसा कहां से आता है? ऐसे कारोबारियों को हजारों करोड़ रुपये का फायदा मिलता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर जो ‘भागीदार’ होने का आरोप लगाया, उस भागीदार शब्द को उन्होंने अपने लिए सकारात्मक बना दिया। कहा कि “मैं गर्व के साथ कह सकता हूं, हम चौकीदार, भागीदार हैं पर हम आपकी तरह ठेकेदार, सौदागर नहीं हैं। हम देश के मजदूरों के दुखों के भागीदार हैं, किसानों की पीड़ा के भागीदार हैं और हमें इस पर गर्व है। हम देश के युवाओं के सपनों के भागीदार हैं। कांग्रेस का एक ही मंत्र है। या तो हम रहेंगे, नहीं रहे तो देश में अफवाहों का साम्राज्य रहेगा। अफवाहें उड़ाई जाती हैं। तकनीक भी उपलब्ध है। ये लोग इमोशनल ब्लैकमेल करके राजनीति करते हैं। इसी कारण देश का बड़ा तबका सशक्तीकरण से वंचित रहा।"

- आंख नहीं मिला पा रहे पीएम : राहुल

भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैं सच बोल रहा हूं। इसीलिए सदन में बैठे प्रधानमंत्री मुझसे आंख नहीं मिला पा रहे हैं। वह कभी इधर देख रहे हैं और कभी उधर। पीएम ने कहा कि हम कौन होते हैं, जो आपकी आंख में आंख डाल सकें। आप नामदार हैं और हम कामदार हैं। इतिहास गवाह है आंख में आंख डालने वाले मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, पटेल, प्रणब मुखर्जी और शरद पवार के साथ क्या हुआ, मैं यह जानता हूं। हम तो कामदार हैं भला नामदार की आंख में आंख कैसे मिला सकते हैं? आंबेडकर का मजाक उड़ाने वाले आज उनका गीत गा रहे हैं। मैं सारा कच्चा-चिट्ठा खोलकर रख सकता हूं। फिर चुटकी ली, ‘आंखों की बात करने वालों की आंखों की हरकतों को आज पूरे देश ने टीवी पर देख लिया। कैसे आंख खोली जा रही है, कैसे बंद की जा रही है ?’

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- वादा दो करोड़ सालाना का था, मिला सिर्फ 4 लाख को रोजगार : राहुल

प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव, 2014 के प्रचार अभियान के दौरान वादा किया था कि सभी लोगों के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा कराए जाएंगे। साथ ही दावा किया था कि हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार दिया जाएगा, लेकिन दिए महज 4 लाख। नोटबंदी के दौरान काला धन पर सर्जिकल स्ट्राइक का दावा किया और छोटे-मझोले उद्योग खत्म कर दिए। जीएसटी ने रही सही कसर पूरी कर दी। हमने जीएसटी में एक दर की बात की थी।

पीएम ने कहा कि देश में रोजगार को लेकर काफी भ्रम फैलाए जा रहे हैं। सरकार ने रोजगार के आंकड़े हर महीने अलग-अलग विभागों में उपलब्ध कराने का फैसला लिया है। पिछले साल एक करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला। वर्षों से लटके जीएसटी और वन रैंक वन पेंशन को हमने लागू किया। जो कहते हैं कि सीएम रहते मैंने जीएसटी में अड़ंगा लगाया, उन्हें बताना चाहता हूं कि मैंने तत्कालीन वित्त मंत्री से कहा था कि राज्यों की दिक्कतों को हल किए बिना इसे लागू नहीं किया जा सकता है।

मोदी ने कांग्रेस के साथ आने वाले अन्य दलों पर भी कटाक्ष किया। “कांग्रेस पार्टी जमीन से कट चुकी है। वह तो डूबे हैं, उनके साथ जाने वाले भी डूबेंगे। हम तो डूबे हैं सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे। पीएम के बयान से लगता है कि सर्जिकल स्ट्राइक का मुद्दा 2019 के चुनाव में भी खूब इस्तेमाल किया जाएगा। इस पर भी मोदी ने कांग्रेस के खिलाफ इमोशनल हथियार का इस्तेमाल किया। कहा कि “आपने सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक कहा, मुझे जितना गाली देना है दे दीजिए पर देश के जवानों को गाली मत दीजिए। मैं अपनी सेना का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता। आपने भारत-पाकिस्तान का विभाजन किया। आज भी यहीं मुसीबत झेल रहे हैं।”

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