नौकरीपेशा लोगों के लिए खुशखबरी, ऑफिस के बाद अब नहीं सताएगा बॉस के फोन का खौफ, संसद में बिल पेश
By: Priyanka Maheshwari Fri, 11 Jan 2019 3:20:01
9 से 10 घंटे की नौकरी करने के बाद भी प्राइवेट जॉब हो या सरकारी टेंशन हर जगह होती है। ऑफिशियल फोन और मेल का जवाब देना पड़ता है। लगातार काम करने की वजह से आजकल लोगों की निजी जीवन प्रभावित हो रहा है। ऑफिस के बाद भी कई बार घर पर बैठ कर काम को पूरा करना पड़ता है जिसकी वजह से निजी जीवन प्रभावित हो रहा है। नौकरीपेशा लोगों को इस समस्या को देखते हुए एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल को पेश किया गया, जिसके बारे में जानकर सभी नौकरीपेशा लोग झूम उठेंगे। इस बिल में ऐसा प्रावधान है जिसके मुताबिक, नौकरी करने वाले लोग अपने ऑफिस आवर्स के बाद कंपनी से आने वाले फोन कॉल्स और ईमेल का जवाब न देने का अधिकार हासिल होंगे। इस बिल को राइट टू डिसकनेक्ट नाम दिया गया है। इस विधेयक में कहा गया है कि एक कर्मचारी कल्याण प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी, जिसमें आईटी, कम्युनिकेशन और लेबर मंत्री शामिल होंगे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में प्राइवेट मेंबर्स बिल के तहत इसे पेश किया। इस बिल के अध्ययन के लिए कल्याण प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। इस प्राधिकरण में सूचना तकनीक, संचार और श्रम मंत्रियों को रखा जाएगा। बिल का अध्ययन करने के बाद एक चार्टर भी तैयार किया जाएगा। बताया गया है कि जिन कंपनियो में 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं वे अपने कर्मचारियों के साथ बात करें और वो जो चाहते हैं वे चार्टर में शामिल करें। इसके बाद रिपोर्ट बनाई जाएगी।
कर्मचारियों के स्ट्रेस और टेंशन को कम करने की सोच
'द राइट टू डिस्कनेक्ट' बिल कर्मचारियों के स्ट्रेस और टेंशन को कम करने की सोच के साथ लाया गया है। इससे कर्मचारी के पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच के तनाव को कम करने में मदद मिलेगी।
बता दे, ऐसा नहीं है कि सिर्फ अपने ही देश में इस तरह के बिल के बारे में चर्चा चल रही है, बल्कि दुनिया के कई देश भी इसे लागू करने पर विचार कर रहे हैं। इसी तरह के प्रावधानों के साथ एक कानून फ्रांस में भी लागू किया गया है। न्यूयॉर्क और जर्मनी में ऐसा कानून बनाने पर चर्चा चल रही है।