Meteorite ने शख्स को बनाया करोड़पति, युवक बोला-सारे खबरें झूठी मेरे साथ धोखा हुआ
By: Pinki Mon, 23 Nov 2020 11:37:35
इंडोनेशिया में ताबूत बनाने वाला एक शख्स रातों-रात उस समय सुर्खियों में आ गया जब उसकी घर की छत पर एक बेहद दुर्लभ उल्कापिंड गिरा था। 33 साल के जोसुआ जब अपने घर में एक दिन काम कर रहे थे, उसी दौरान उल्कापिंड के गिरने से जोउसा के कोलांग स्थित घर की छत में छेद हो गया था। उल्कापिंड का वजन 2 किलो से ज्यादा था और जब यह छत में छेद करते हुए गिरा तो 15 सेंटीमीटर तक जमीन में धंस गया था। इसके बाद ऐसी भी खबरें आईं कि इस शख्स ने उल्कापिंड के सहारे करोड़ों की कमाई कर ली है लेकिन अब 33 साल के इस व्यक्ति ने दावा किया है कि उसके साथ धोखा हुआ है। हालांकि जोशुआ का कहना है कि वो करोड़पति नहीं बना है और विदेशी मीडिया में उसके करोड़पति बनने की खबरें झूठी हैं और उसके साथ धोखा हुआ है। जोशुआ ने कहा कि उसे इस दुर्लभ उल्कापिंड के सिर्फ 10 लाख रुपये मिले हैं और जोशुआ का कहना है कि उसने अपने सारे पैसे परिवार की मदद करने में और एक चर्च को बनवाने में खर्च कर दिए हैं। बता दें कि जोशुआ ने अपने फेसबुक पोस्ट पर इस उल्कापिंड के बारे में बताया था।
विशेषज्ञों के अनुसार, ये 4.5 बिलियन साल पुराना है और इसे बेहद दुर्लभ सीएम 1/2 कार्बनएशियस कोन्ड्राइट उल्कापिंड बताया जा रहा है। इसकी कीमत 853 डॉलर्स प्रति ग्राम आंकी गई है यानी इस उल्कापिंड की कुल कीमत लगभग 14 करोड़ रुपये थी। न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक, इस उल्कापिंड का कुछ हिस्सा कोलांग के एक धान के खेत में भी गिरा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस उल्कापिंड का वजन 2.5 किलो था जिसका ज्यादातर हिस्सा जोशुआ के घर की छत पर गिरा था।
क्या होते हैं Meteorite?
किसी वजह से ऐस्टरॉइड के टूटने पर उनका छोटा सा टुकड़ा उनसे अलग हो जाता है जिसे उल्कापिंड यानी meteroid कहते हैं। जब ये उल्कापिंड धरती के करीब पहुंचते हैं तो वायुमंडल के संपर्क में आने के साथ ये जल उठते हैं और हमें दिखाई देती एक रोशनी जो शूटिंग स्टार यानी टूटते तारे की तरह लगती है लेकिन ये वाकई में तारे नहीं होते। जरूरी नहीं है कि हर उल्कापिंड धरती पर आते ही जल उठे। कुछ बड़े आकार के उल्कापिंड बिना जले धरती पर लैंड भी करते हैं और तब उन्हें meteorite कहा जाता है। NASA का जॉन्सन स्पेस सेंटर दुनिया के अलग-अलग कोनों में पाए गए meteorites का कलेक्शन रखता है और इन्हीं की स्टडी करके ऐस्टरॉइ़ड्स, planets और हमारे सोलर सिस्टम की परतें खोली जा जाती हैं।