शिवसेना और विपक्षी कांग्रेस का दावा: विपक्ष की एकजुटता देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घबरा गए हैं

By: Priyanka Maheshwari Tue, 22 Jan 2019 07:54:50

शिवसेना और विपक्षी कांग्रेस का दावा: विपक्ष की एकजुटता देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घबरा गए हैं

सहयोगी दल शिवसेना और विपक्षी कांग्रेस ने सोमवार को पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष की एकजुटता को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घबरा गए हैं और उनमें ‘‘डर'' समा गया है। बता दे, रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी दलों के महागठबंधन को खारिज करते हुए आरोप लगाया था कि यह ‘भ्रष्टाचार, नकारात्मकता और अस्थिरता का गठबंधन है तथा इसे उन लोगों ने बनाया है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई से भयभीत हैं। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा है कि विपक्ष के महागठबंधन के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया टिप्पणी और उनके हाव - भाव से यह साबित हो गया है कि वह उसकी (विपक्ष की) एकजुटता से डरे हुए हैं। पटेल ने अहमदाबाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जैसा कि आप लोगों ने गौर किया है, प्रधानमंत्री अब अपने भाषणों में महागठबंधन के बारे में बातें कर रहे हैं। इससे जाहिर होता है कि उनके मन में किसी तरह की डर की भावना समा गई है। यहां तक कि उनके हाव - भाव से साबित होता है कि वह अब विपक्षी एकजुटता से भयभीत हैं।''

वहीं, वित्त मंत्री अरूण जेटली और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सिर्फ मोदी की लोकप्रियता का डर और भाजपा की सफलताएं हैं जिसने कई अलग - अलग ताकतों को प्रधानमंत्री के खिलाफ एक साथ कर दिया।

विपक्ष की एकजुटता कम समय तक चलने वाला गठजोड़

जेटली ने कहा कि विपक्ष की किसी तरह की गोलबंदी अव्यवहारिक और कम समय तक चलने वाला गठजोड़ होगा। उन्होंने यह भी पूछा, ‘‘क्या यह मोदी बनाम अव्यवस्था होगी ? '' जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि इससे (विपक्ष के एकजुट होने से) आम चुनावों में भाजपा को फायदा होने जा रहा है क्योंकि एक आकांक्षापूर्ण समाज अल्प अवधि के राजनीतिक गठबंधन को वोट देकर ‘‘सामूहिक आत्महत्या'' नहीं करेगा। जेटली की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि मुख्यमंत्री (पश्चिम बंगाल) ममता बनर्जी द्वारा पिछले शनिवार को बुलाई गई कोलकाता रैली ने केंद्र की भाजपा नीत सरकार की बुनियाद हिला कर रख दी है। तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ चटर्जी ने कोलकाता में कहा, ‘‘पिछले दो दिनों (शनिवार) से चाहे वह प्रधानमंत्री हों या अन्य केंद्रीय मंत्री, हर कोई इस रैली के बारे में बातें कर रहा है। हालांकि, ममता बनर्जी केंद्र की सरकार में नहीं हैं फिर भी उन्हें लगता है कि वह इसमें हैं। यही कारण है कि बीमार रहने के बावजूद भी जेटली जी इस तरह की टिप्पणी कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा को आभास हो गया है कि उसके गिनती के दिन ही शेष रह गए हैं... ऐसा लगता है कि रैली ने मोदी सरकार की बुनियाद हिला कर रख दी है।''

भाजपा की सफलताओं ने विपक्षी पार्टियों को एक साथ ला दिया

वित्त मंत्री के विचारों से सहमति जताते हुए ग्रेटर नोएडा में संवाददाताओं से बात करते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह भाजपा की सफलताओं का डर है जिसने विपक्षी पार्टियों को एक साथ ला दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘वे (महागठबंधन) इस बात को लेकर भयभीत हैं कि भाजपा फिर से सरकार बनाएगी। ''

भाजपा से नाराज चल रहे उसके सहयोगी दल शिवसेना ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (गुजरात में एल एंड टी के हथियार निर्माण केंद्र के मुआयने के दौरान) एक टैंक पर चढ़कर भाषण दिया था। पार्टी ने हैरानगी जताते हुए पूछा, ‘‘ तो फिर 22 विपक्षी दलों के एकजुट होने से उन्हें कंपकंपी क्यों छूट रही है।''

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा कोलकाता में शनिवार को आयोजित रैली में विपक्ष की एकजुटता का जिक्र करते हुए शिवेसना ने अपने मुखपत्र ‘सामना'' के एक संपादकीय में कहा है कि ‘मोदी इस भ्रम में नहीं रहें कि उनकी सरकार अमर है।' शिवसेना ने कहा है कि मोदी-शाह की जोड़ी को तृणमूल कांग्रेस प्रमुख सीधी चुनौती दे रही हैं।

संपादकीय में कहा गया है, ‘‘ममता सहित रैली में शिरकत करने वाले अधिकतर नेता एक समय में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में भाजपा के सहयोगी रह चुके हैं और उन लोगों का मजाक उड़ाने की जरूरत नहीं है। मोदी की सरकार देश की दुश्मन नहीं है, लेकिन उन्हें इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि उनकी सरकार अमर है।''

बहरहाल, केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी दल शिवसेना ने सत्ता में मौजूद पार्टी (भाजपा) की आलोचना करने के अपने अधिकार का बचाव किया। ममता ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को रैली में आने का न्यौता दिया था लेकिन पार्टी ने कहा कि हमारी रणभेरी हम अपने ही मैदान से फूंकते रहते हैं और वह हमने सबसे पहले फूंकी है।

शिवसेना ने कहा, ‘‘ ‘ममता बनर्जी के मंच पर उपस्थित सारे नेता धर्मनिरपेक्षतावादी थे। शिवसेना छद्म धर्मनिरपेक्ष नहीं है। हमारी विचारधारा ‘हिंदुत्व' है और राम मंदिर तथा समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर हमारा रूख दृढ़ है। कोलकाता रैली में शिवसेना का रूख हजम नहीं होता। ''

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