'एस-400 वायु रक्षा प्रणाली' सौदे पर भारत और रूस के बीच करार, दोनों देशों के बीच हुए समझौते की खास बातें

By: Pinki Sat, 06 Oct 2018 07:28:57

'एस-400 वायु रक्षा प्रणाली' सौदे पर भारत और रूस के बीच करार, दोनों देशों के बीच हुए समझौते की खास बातें

रूस के राष्ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच चर्चा के बाद S-400 डील पर मुहर लग गई। करीब 39 हज़ार करोड़ रूपए की इस डील में भारत रूस से पांच S-400 एयर डिफ़ेंस सिस्टम ख़रीद रहा है, जो 2020 तक मिल जाएगा। दरअसल, अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि रूस के साथ यह खास सौदा करने वाले राष्ट्रों के खिलाफ वह दंडात्मक प्रतिबंध लगाएगा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। हालांकि, नई दिल्ली ने काफी संयमित रुख दिखाया है। शायद, अमेरिका के साथ अपने बेदाग संबंधों को कायम रखने की कोशिश के तहत इसने ऐसा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन ने अपने - अपने संबद्ध प्रेस बयानों में एस-400 समझौते का जिक्र नहीं किया। सरकारी अधिकारियों ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर होने की सार्वजनिक घोषणा नहीं की। हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की है कि इस पर रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी ने भारत की ओर से हस्ताक्षर किए हैं। वही डील होने के तुरंत बाद अमेरिकी दूतावास ने बयान जारी तो किया लेकिन इस सौदे को लेकर सीधे कोई तीखी टिप्पणी नहीं की। उसकी ओर से यह जरूर कहा गया कि रूस का साथ देने वालों के लिए भविष्य में प्रतिबंध की नौबत आ सकती है।

अमेरिका ने अपने कानून ‘काटसा’ का हवाला देते हुए कहा कि इसका मकसद रूस के रक्षा सेक्‍टर में पूंजी पर अंकुश लगाना है, लेकिन अमेरिका के सहयोगियों की रक्षा क्षमताओं को नुकसान पहुंचाना नहीं। इशारा साफ है, अमेरिका भी यह समझता है कि भारत-रूस के रक्षा संबंध दशकों से है और रूस भारत का सबसे बड़ा डिफेंस पार्टनर है।

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- एक शीर्ष भारतीय अधिकारी ने बताया, ‘‘अब अनुबंध पर हस्ताक्षर हो चुका है, ऐसे में मैं समय सीमा (भुगतान तंत्र) के जल्द होने का अनुमान करता हूं।’’ अधिकारी ने यह भी कहा कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते एस-400 की सौदेबाजी में लंबा वक्त लगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह देश की खास रक्षा जरूरत को पूरा करता है और इसलिए सरकार ने इस बारे में फैसला लिया, बिल्कुल राष्ट्रहित में यह किया गया।’’

- समिट के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों देशों ने ‘एस-400 लॉंग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम’ की भारत को आपूर्ति के लिए अनुबंध के निष्कर्ष पर पहुंचने का स्वागत किया है।’’

- रूसी समाचार एजेंसी तास ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर होने की पुष्टि की है। इसने रूसी राष्ट्रपति कार्यालय प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव के हवाले से कहा है, ‘‘यात्रा से इतर इसे पूरा किया गया।’’

- पिछले साल अगस्त में मास्को के खिलाफ वाशिंगटन द्वारा ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट’ (सीएएटीएसए) लगाए जाने के बाद रूस के साथ भारत का यह पहला रक्षा करार है। वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा था, ‘‘हम अपने सभी सहयोगी और साझेदार देशों से रूस के साथ ऐसे लेनदेन से दूर रहने का अनुरोध करते हैं जो सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंधों को आमंत्रित करता हो।’’

- रूस से अरबों डॉलर के एस-400 वायु मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने की भारत की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने यह कहा था। हालांकि, यहां अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सीएएटीएसए मास्को को लक्षित है और इसके सहयोगी एवं साझेदार देशों की सैन्य क्षमताओं को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं रखता है।

- 19वें भारत-रूस वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में मोदी और पुतिन ने रक्षा, आतंकवाद निरोध, ऊर्जा और अंतरिक्ष सहित अहम क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। मोदी और पुतिन के प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन परियोजना ‘गगनयान’ में सहयोग सहित आठ अन्य समझौतों पर भारत और रूस ने हस्ताक्षर किए।

- मोदी ने पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस कार्यक्रम में कहा कि आज लिए गए फैसले हमारे संबंधों को और बढ़ाएंगे और इस चुनौतीपूर्ण विश्व में शांति एवं स्थिरता बहाल करने में योगदान देंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे दोनों देशों को आतंकवाद निरोध, अफगानिस्तान में विकास कार्य और हिंद प्रशांत क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन तथा एससीओ, ब्रिक्स, जी-20 एवं आसियान जैसे संगठनों में सहयोग में साझा हित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रूस ने भारत को देश के मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान ‘गगनयान’ में पूरा सहयोग करने का भी भरोसा दिलाया है।

- वहीं, पुतिन ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद और मादक पदार्थों की बुराई का मुकाबला करने में सहयोग करने के लिए कदम उठाने को राजी हुए। संयुक्त बयान में यह भी कहा गया है कि दोनों देश आतंकी नेटवर्क, उनके धन प्राप्त होने के स्रोत, हथियार एवं लड़ाकों के आपूर्ति माध्यमों, आतंकवादी विचारधारा, दुष्प्रचार और भर्ती का खात्मा करने की अपनी कोशिशें समन्वित करने पर भी राजी हुए। उन्होंने सीमा पार से आतंकवाद और आतंकवादियों एवं उनके नेटवर्क को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया किए जाने सहित आतंकवादियों को सभी तरह के सरकारी समर्थन की निंदा की।

- उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान पर सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने और पड़ोसी देशों को निशाना बनाने के लिए अपनी (पाकिस्तानी) सरजमीं पर संचालित होने वाले आंतकी संगठनों की सहायता करने का भारत आरोप लगाता रहा है। सीमा पार से होने वाले आतंकवाद की निंदा करने वाला यह सख्त बयान खासा मायने रखता है क्योंकि भारत के पुराने मित्र रूस की हाल के समय में पाकिस्तान के साथ संबंधों में गर्माहट देखने को मिली है।

- रक्षा समझौते के अलावा अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, रेलवे के क्षेत्र में भी करार किए गए। साथ ही, दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र में काफी समय से लंबित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को स्वीकार करने की दिशा में गंभीर कोशिश किए जाने की अपील की।

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अमेरिका के थाड सिस्टम से बेहतर है S-400

- कई देश रूस से यह सिस्टम खरीदना चाहते हैं क्योंकि इसे अमेरिका के थाड (टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस) सिस्टम से बेहतर माना जाता है। इस एक मिसाइल सिस्टम में कई सिस्टम एकसाथ लगे होने के कारण इसकी सामरिक क्षमता काफी मजबूत मानी जाती है। अलग-अलग काम करने वाले कई राडार, खुद निशाने को चिन्हित करने वाले एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, लॉन्चर, कमांड और कंट्रोल सेंटर एक साथ होने के कारण S-400 की दुनिया में काफी मांग है।

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क्या है इसकी खासियत?

- भारत, रूस से लगभग 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉतर क़ीमत में S-400 की पांच रेजीमेंट ख़रीद रहा है।

- हर रेजीमेंट में कुल 16 ट्रक होते हैं, जिनमें 2 लांचर के अलावा 14 रडार और कंट्रोल रूम के ट्रक्स होते हैं।

- S-400, 400 किमी की रेंज में आने वाले किसी भी फ़ाइटर एयरक्राफ्ट्स, मिसाइल या हेलीकॉप्टर को गिरा सकता है।

- इसे आदेश मिलने के 5 मिनट के भीतर तैनात किया जा सकता है औऱ ये एक साथ 80 टारगेट्स को निशाने पर ले सकता है।

- ये 600 किमी की दूरी से हर किस्म के टार्गेट का पीछा करना शुरू कर देता है।

- एक अंदाज़े के मुताबिक केवल 3 रेजीमेंट तैनात करके पाकिस्तान की तरफ़ से किसी भी हवाई हमले से बेफिक्र हुआ जा सकता है।

- ये सिस्टम -70 डिग्री से लेकर 100 डिग्री तक के तापमान पर काम कर लेता है।

- इसकी मारक क्षमता अचूक है क्योंकि यह एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है।

- 400 किमी के रेंज में एक साथ कई लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक व क्रूज मिसाइल और ड्रोन पर यह हमला कर सकता है।

भारत, रूस से लगभग 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉतर क़ीमत में S-400 की पांच रेजीमेंट ख़रीद रहा है।

एस-400 के संदर्भ में वायुसेना के मौजूदा शक्ति?

- भारतीय वायुसेना को चीन और पाकिस्तान दोनों से निबटने के लिए 42 फ़ाइटर स्क्वाड्रन चाहिए। लेकिन इस समय वायुसेना के पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं। इनमें मिग-21, मिग-27, जगुआर और मिराज की बड़ी तादाद है जिन्हें चार दशक पहले खरीदा गया था। अगर मिग-29 और सुखोई-30 को छोड़ दिया जाए तो वायुसेना के फ़ाइटर जेट्स अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं।

- भारत ने संकेत दिए हैं कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद वह करार की दिशा में आगे बढ़ेगा। भारत अपने वायु रक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली खरीदना चाहता है, खासतौर पर लगभग 4,000 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा के लिए। रूस भारत के प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ताओं में से एक रहा है। सूत्रों ने पहले कहा था कि मोदी और पुतिन ईरान से कच्चे तेल के आयात पर अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव पर भी विचार करेंगे। पीएम मोदी के साथ बातचीत करने के अलावा रूसी नेता पुतिन शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ भी बैठक करेंगे। वह प्रतिभाशाली बच्चों के एक समूह के साथ भी बातचीत करेंगे और भारत-रूस व्यापार बैठक को संबोधित करेंगे।

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