बातचीत के लिए किसानों ने खींची लकीर, एक सप्ताह का रोडमैप किया तैयार

By: Pinki Sun, 27 Dec 2020 09:23:16

बातचीत के लिए किसानों ने खींची लकीर, एक सप्ताह का रोडमैप किया तैयार

दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को एक महीना हो चुका है। किसान संगठन कानून वापसी पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि वे कानून में किसी भी तरह के संशोधन के लिए तैयार नहीं हैं, सरकार को इसे वापस ही लेना पड़ेगा। इस गतिरोध के बीच कम से कम किसान सरकार से बातचीत को तैयार हो गए हैं। अब किसान 29 दिसंबर को सरकार से बातचीत करने जाएंगे।

बातचीत के लिए किसानों ने खींची लकीर

किसानों ने बातचीत के लिए हामी तो भर दी है, लेकिन उन्होंने अपनी लकीर भी खींच दी है। इस लकीर के आगे किसान नहीं जाएंगे। इसलिए किसान सरकार से 29 दिसंबर को बातचीत तो करेंगे, लेकिन केंद्र पर दबाव बनाने के लिए उन्होंने पूरे एक हफ्ते का विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम तैयार रखा है।

27 दिसंबर से 1 जनवरी तक के लिए किसानों का प्लान तैयार

अगर सरकार के साथ किसानों की बातचीत नाकाम रहती है तो किसान नए साल में आंदोलन को अगले चरण में ले जाएंगे। फिलहाल हम आपको किसानों का आज से लेकर 1 जनवरी तक का कार्यक्रम बताते हैं।

किसान नेता डॉ दर्शनपाल ने बताया कि दिल्ली की सीमा पर बैठे किसान आज और कल यानी कि 27 और 28 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंह के बेटे का शहीदी दिवस मनाएंगे। 29 दिसंबर को किसान 11 बजे सरकार से बात करने जाएंगे। किसान आंदोलन में ये दिन अहम रहने वाला है, अगर दोनों पक्षों के बीच बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ती है तो किसान थोड़ी नरमी दिखा सकते हैं। अन्यथा 30 तारीख को किसान ट्रैक्टर से सिंघु से लेकर टिकरी और शाहजहांपुर तक मार्च करेंगे।

31 और 1 को सिंघु बॉर्डर पर लंगर


किसानों का कहना है कि 31 और 1 तारीख को वे लोगों को सिंघु बॉर्डर पर बुला रहे हैं। किसानों ने कहा है कि लोग लंगर खाने और किसानों के साथ नया साल मनाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर आएं।

किसानों की शर्तें

दरअसल किसान बातचीत को तो तैयार हैं, लेकिन इस बार ये बातचीत शर्तों के साथ होगी। इस शर्त को किसानों ने सरकार को लिखकर भेज दिया है।

- तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाओं पर बातचीत हो।
- मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) की कानूनी गारंटी बातचीत के एजेंडे में रहे।
- कमीशन फॉर द एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ऑर्डिनेंस के तहत सजा के प्रोविजन किसानों पर लागू नहीं हों। ऑर्डिनेंस में संशोधन कर नोटिफाई किया जाए।
- इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल में बदलाव का मुद्दा भी बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।

दरअसल किसानों का फोकस बातचीत के परिणाम पर है, अगर दोनों पक्षों के बीच गतिरोध समाप्त हुआ तब तो ठीक है, अन्यथा नए साल में किसान का आंदोलन और भी रफ्तार पकड़ सकता है।

दो किसानों ने तोड़ा दम

आंदोलन से लौटे होशियारपुर के किसान की हार्टअटैक और तलवंडी साबो के किसान की ठंड से मौत हो गई। एक महीने से कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली किसान आंदोलन में गए होशियारपुर जिले के गांव रड़ा के एक किसान की घर वापसी के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई। मृतक किसान की पहचान भूपिंदर सिंह पुत्र मोहन सिंह (48) निवासी रड़ा के रूप में हुई है। उधर, तलवंडी साबो के गांव भागीवांदर के गुरप्यार सिंह (61) की ठंड लगने से शुक्रवार देर रात घर में मौत हो गई। वह 20 दिनों से टिकरी बार्डर पर सेवा निभा रहे थे। मोर्चे में रहते ही ठंड लग गई। गुरुवार को हालत गंभीर होने पर घर लाया गया, जहां शुक्रवार देर रात उनका देहांत हो गया।

आपको बता दे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को इस साल आखिरी बार मन की बात करेंगे। इस बीच किसान संगठनों ने लोगों से अपील की है कि PM जितनी देर इस कार्यक्रम में बोलें, सभी ताली-थाली बजाकर विरोध जताएं।

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