भारत की स्वदेशी COVAXIN को मंजूरी देने पर क्यों उठ रहे हैं इतने सवाल?
By: Pinki Mon, 04 Jan 2021 1:08:53
कोरोना वायरस की दो वैक्सीन को भारत में मंजूरी मिल चुकी है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) ने रविवार को कोविड-19 के इलाज के लिए दो वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दे दी। जिन दो वैक्सीन को इस्तेमाल की अनुमति मिली है वे है ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (COVAXIN)। कोविशील्ड को भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया कंपनी बना रही है। वहीं, कोवैक्सीन को भारत बायोटेक कंपनी इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर बना रही है। ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी ब्रिटेन में मिलने के बाद ऐसी पूरी संभावना थी कि कोविशील्ड को भारत में मंज़ूरी मिल जाएगी और आख़िर में यह अनुमति मिल गई। लेकिन इसके साथ ही और इतनी जल्दी COVAXIN को भी भारत में अनुमति मिल जाएगी इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी।
दरअसल, COVAXIN के तीसरे चरण के ट्रायल का डेटा अब तक जारी नहीं किया गया है। ऐसे में सवाल किए जा रहे हैं कि आखिर डेटा सामने आने से पहले ही वैक्सीन को मंजूरी क्यों दे दी गई। कोवैक्सीन को इतनी जल्दी अनुमति दिए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी समेत कुछ स्वास्थ्यकर्मियों ने इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
भारत बायोटेक ने अमेरिकी बाजार के लिए ड्रग डेवलपर Ocugen Inc के साथ साझेदारी की है। वहीं, ब्राजील ने भी ये वैक्सीन खरीदने के लिए कुछ समझौते किए हैं। कंपनी का कहना है कि 10 से अधिक देशों से COVAXIN के बारे में बातचीत की जा रही है। भारत बायोटेक के अध्यक्ष कृष्णा एल्ला ने रॉयटर्स न्यूज एजेंसी को दिए एक बयान में कहा, 'हमारा लक्ष्य पूरी दुनिया की आबादी के लिए इसे उपलब्ध कराना है, जिसे वैक्सीन की बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि COVAXIN मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स बनाती है और ये सुरक्षित भी है।'
अनुमति देने के बाद उठे सवाल
रविवार को कोविशील्ड और कोवैक्सीन को अनुमति दिए जाने के बाद कई लोगों ने सवाल उठाए कि दोनों वैक्सीन के तीसरे ट्रायल के आँकड़े जारी किए बिना अनुमति कैसे दे दी गई। COVAXIN के पहले और दूसरे चरण का ट्रायल 800 वॉलंटियर्स पर किया गया था। भारत बायोटेक ने कहा कि उसने तीसरे चरण के ट्रायल के लिए 23,000 वॉलंटियर्स की भर्ती की थी। ये ट्रायल नवंबर 2020 में शुरू किया गया था जिसका डेटा अब तक जारी नहीं किया गया है। उस समय इसे 2021 के फरवरी या मार्च में मंजूरी दिए जाने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन समय से काफी पहले 3 जनवरी को ही इसे इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है।
कौन उठा रहा सवाल
ट्रांसपैरेंसी एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने ट्वीट किया, किस आधार पर कोवैक्सीन को मंजूरी दी गई है जबकि भारत बायोटेक ने सुरक्षा और प्रभावी होने को लेकर पर्याप्त डेटा जारी नहीं किया है।
एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने सूचना के अधिकार कानून के तहत एक याचिका दायर की है जिसमें सरकार से कौवैक्सीन और कोविशील्ड की सुरक्षा और अन्य डेटा की जानकारी मांगी गई है। सीरम इंस्टीट्यूट के CEO अदार पूनावाला ने भी बिना ट्रायल के नतीजे जाने बिना COVAXIN को मंजूरी दिए जाने पर सवाल उठाए हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी इसे लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को टैग करते ट्वीट में कहा, 'वैक्सीन को मंजूरी देना अपरिपक्व फैसला है और ये खतरनाक साबित हो सकता है। जब तक ट्रायल पूरा ना हो जाए, इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए। तब तक भारत एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से शुरुआत कर सकता है।'
कांग्रेस नेता का यह ट्वीट करना ही था कि देश में वैक्सीन पर राजनीतिक बयानबाज़ियां शुरू हो गईं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कोवैक्सीन और लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं जताईं।
मुंबई में संक्रामक रोगों के शोधकर्ता डॉक्टर स्वप्निल पारिख कहते हैं कि डॉक्टर इस समय मुश्किल स्थिति में हैं। उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि यह समय नियामक बाधाओं को दूर कर प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करने का है।'
डॉक्टर पारिख ने कहा, 'सरकार और नियामकों डेटा को लेकर पारदर्शी होने की ज़िम्मेदारी है, जिसकी उन्होंने वैक्सीन को अनुमति देने से पहले समीक्षा की, क्योंकि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो ये लोगों के भरोसे को प्रभावित करेगा।'
भारत में कोवैक्सीन के अलावा कोविशील्ड कितने लोगों पर कारगर है इस पर भी सवाल उठे हैं लेकिन ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन होने के कारण इसको उस शक की नज़र से नहीं दे खा जा रहा है जितना कोवैक्सीन को देखा जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप
वहीं, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने वैक्सीन को लेकर विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने लोगों से वैक्सीन पर भरोसा करने का आग्रह करते हुए कहा है कि इन दोनों वैक्सीन को मंजूरी देने से पहले कड़े प्रोटोकॉल का पालन किया है।
सबसे पहले ट्वीट में डॉक्टर हर्षवर्धन ने लिखा, 'इस तरह के गंभीर मुद्दे का राजनीतिकरण करना किसी के लिए भी शर्मनाक है। श्री शशि थरूर, श्री अखिलेश यादव और श्री जयराम रमेश कोविड-19 वैक्सीन को अनुमति देने के लिए विज्ञान समर्थित प्रोटोकॉल का पालन किया गया है जिसको बदनाम न करें। जागिए और महसूस करिए कि आप सिर्फ़ अपने आप को बदनाम कर रहे हैं।'
इसके बाद उन्होंने ट्विटर जानकारी देते हुए बताया, 'COVAXIN कोविशील्ड से पूरी तरह अलग है। उन्होंने बताया कि COVAXIN का इस्तेमाल क्लीनिकल ट्रायल मोड में किया जाएगा जिसके तहत वैक्सीन लेने वालों को ठीक उसी तरह ट्रैक और मॉनिटर किया जाएगा जैसा ट्रायल में वॉलंटियर्स को वैक्सीन लगाने के बाद किया जाता है। मंजूरी मिलने के पहले दो महीने में हर दो हफ्ते में कंपनी को ड्रग रेगुलेटर्स को COVAXIN के गंभीर इफेक्ट के बारे में जानकारी देनी होगी।'
वहीं, AIIMS के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि 'Covaxin' का इस्तेमाल बैकअप के तौर पर किया जा सकता है। उन्होंने कहा, अचानक से कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा होने पर हमें वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी, तब हम भारत बायोटेक की 'COVAXIN ' का प्रय़ोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक कि हम यह सुनिश्चित नहीं करते कि सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन कितनी प्रभावशाली है, तब तक इसका (Covaxin) उपयोग बैकअप के तौर पर भी किया जा सकता है।
रणदीप गुलेरिया ने कहा कि शुरुआत में, सीरम इंस्टीट्यूट की 'COVISHIELD' वैक्सीन दी जाएगी। उनके पास पहले से ही 50 मिलियन वैक्सीन की खुराक उपलब्ध हैं। फर्स्ट फेज में 3 करोड़ वैक्सीन का इस्तेमाल करना है। तब तक 'कोवैक्सीन' का और डाटा भी हमारे सामने आ जाएगा।
कोवैक्सीन के निर्माण के समय से ही इसे एक तबक़ा 'स्वदेशी वैक्सीन' कह रहा है। कोविशील्ड भी भारत में बन रही है लेकिन वो मूल रूप से ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन है। दोनों वैक्सीन को अनुमति मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट में लिखा कि जिन दो वैक्सीन के इमर्जेंसी इस्तेमाल को मंज़ूरी दी गई है, वे दोनों मेड इन इंडिया हैं, यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए हमारे वैज्ञानिक समुदाय की इच्छाशक्ति को दर्शाता है।
मैं कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा: बाबा रामदेव
योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) नहीं लगवाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा, 'देश में अगर कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या ज्यादा है तो इसमें सबसे ज्यादा योगदान योग व गिलोय का है। उन्होंने लोगों से भी योग करने का आग्रह करते हुए कहा कि लोगों ने अपने शरीर का कबाड़ा कर रखा है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हैं, इसे बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। क्योंकि वह (वैक्सीन) ज्यादा समय तक शरीर में प्रभावी नहीं रहेगी।'
COVAXIN approval is ‘Monitored Approval’ with strict follow-up & rolling review
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) January 3, 2021
This approval ensures India has an additional vaccine shield in its arsenal esp against potential mutant strains in a dynamic pandemic situation -
A strategic decision for our vaccine security ✔️ pic.twitter.com/TgP7BZNWHf