अगर इस तारीख तक नहीं भेजा चंद्रयान-2 तो फिर करना होगा 3 महीनें और इंतजार

By: Pinki Mon, 15 July 2019 5:36:34

अगर इस तारीख तक नहीं भेजा चंद्रयान-2 तो फिर करना होगा 3 महीनें और इंतजार

भारत ने सोमवार तड़के होने वाले चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के लांच को तकनीकी खामी के कारण रोक दिया। लॉन्च से 56:24 सेकंड पहले चंद्रयान-2 का काउंटडाउन रोक दिया गया है। अगली तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी। आज तड़के 2:51 बजे होने वाले प्रक्षेपण की उल्टी गिनती 56 मिनट 24 सेकंड पहले मिशन नियंत्रण कक्ष से घोषणा के बाद रात 1:55 बजे रोक दी गई। तकनीकी खामी रॉकेट सिस्टम में थी। सूत्रों के अनुसार चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग अगर गुरुवार तक नहीं हो पाई तो इसे अगले 3 महीनों के लिए टाल दिया जाएगा। इसरो को अगला लॉन्च विंडो अक्तूबर में मिलने की संभावना है। लॉन्च विंडो उस उपयुक्त समय को कहा जाता है जब पृथ्वी से चांद की दूरी कम होती है और राकेट की दूसरे उपग्रहों से टकराने की संभावना बहुत कम होती है।

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इसरो (ISRO) के अनुसार, इस मिशन को रद्द नहीं किया गया है। जल्द ही इसकी नई तारीख का एलान होगा और इस महत्वपूर्ण मिशन को अंजाम दिया जाएगा। इसके साथ ही भारत पहली बार चंद्रमा पर दस्तक देगा। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा। दुनिया में अंतरिक्ष महाशक्ति कहलाने वाले भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी।

इसरो के किसी भी मिशन के लिए लॉन्चिंग की तारीख की घोषणा त्रिवेंद्रम स्थित स्पेस फिजिक्स लैब करता है। इस मिशन को दोबारा लॉन्च करने के लिए यही लैब नई तारीख जारी करेगा। अगर चंद्रयान-2 के तकनीकी खामी को गुरुवार तक ठीक करने लॉन्च नहीं किया गया तो इसरो को अक्तूबर तक का इंतजार करना पड़ेगा।

वैज्ञानिकों की 11 साल की मेहनत को लगा झटका

इस रुकावट की वजह से इसरो वैज्ञानिकों की 11 साल की मेहनत को छोटा सा झटका लगा है। हालांकि, इसरो वैज्ञानिकों द्वारा अंतिम क्षणों में यह तकनीकी कमी खोज लेना बड़ा कदम है। अगर इस कमी के साथ रॉकेट छूटता तो बड़ा हादसा हो सकता था। यह वैज्ञानिकों की महारत है कि उन्होंने गलती खोज ली है। इसे जल्द ही ठीक करके वे लॉन्च की नई तारीख घोषित करेंगे। चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा। यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा।

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