मुंबई में दाखिल होने वाले हैं 35000 किसान, 12 मार्च को महाराष्ट्र की विधानसभा का करेगें घेराव

By: Priyanka Maheshwari Sun, 11 Mar 2018 3:33:59

मुंबई में दाखिल होने वाले हैं 35000 किसान, 12 मार्च को महाराष्ट्र की विधानसभा का करेगें घेराव

भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकार की कृषि संकट से निपटने में विफलता के विरोध में 35 हजार के करीब किसानों का मोर्चा मुंबई पहुंच चुका है। अभी वह मुंलुंड से आगे बढ़ रहे हैं और आज रात सोमैया मैदान तक पहुंच जाएंगे। कल यानी 12 मार्च को किसानों ने महाराष्ट्र की विधानसभा के घेराव का ऐलान किया है। इस बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अध्यक्ष राज ठाकरे ने भी किसान आंदोलन को अपना समर्थन दे दिया है। इससे पहले शिवसेना ने किसान आंदोलन को अपना समर्थन घोषित किया था। महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन है लेकिन उद्धव ठाकरे की सेना किसानों के मुद्दे पर फडणवीस सरकार का घेराव करती रही है। अब किसानों का हमदर्द बनने की कवायद में मनसे भी उतर गई है। मनसे का कहना है कि बीजेपी ने जो वादा किया था, सत्ता में आने के बाद वह भूल गई।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के किसान मोर्चे अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की अगुवाई में यह विरोध मार्च मंगलवार को नासिक से मुंबई के लिए रवाना हुआ था। ​किसानों ने उचित मुआवजे और ऋण माफी की मांग को लेकर 12 मार्च को विधानसभा के बाहर प्रदर्शन करने को योजना बनाई है। एआईकेएस के राज्य महासचिव अजित नवले ने कहा कि ये किसान सरकार की ओर से उनसे किए गए वादों को लागू नहीं करने को लेकर जवाब मांगेंगे। नवले ने बताया, "राज्य के किसान कृषि संकट से जूझ रहे हैं और वे भारी वित्तीय बोझ के तले दबे हैं। सरकार ने उन्हें राहत पहुंचाने के लिए कुछ नहीं किया है, इसलिए उनके पास विरोध मार्च के माध्यम से अपने आक्रोश को व्यक्त करने के अलावा कोई चारा नहीं है।" नवले ने कहा कि किसानों की 180 किलोमीटर लंबी पदयात्रा में शुरू में 12,000 किसान शामिल थे, जिसमें अब 30,000 से ज्यादा किसान शामिल हो चुके हैं, जो किसानों के बीच असंतोष की तीव्रता को दर्शाता है। उन्होंने कहा जिस तरीके से किसान इससे जुड़ रहे हैं अपने गंतव्य तक पहुंचते-पहुंचते विरोध प्रदर्शन में शामिल किसानों की संख्या 55,000-60,000 हो जाएगी। एआईकेएस की प्रमुख मांगों में ऋण का पूर्ण अधित्याग और कृषि लागत का 1।5 गुणा लाभ दिलवाना शामिल है। ये किसान स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को तुरंत लागू करने की मांग कर रहे हैं, जो उचित पारिश्रमिक सुनिश्चित करता है।

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