दुनिया के 4 सबसे भयानक युद्ध जिसमें मरने वालों की गिनती नामुमकिन
By: Ankur Thu, 07 Dec 2017 1:37:17
युद्ध एक ऐसा नाम हैं जो सुनने में जितना आकर्षक लगता हैं, परिणाम उसके उतने ही बुरे होते हैं। अब वो चाहे जितने वाला हो या हारने वाला हो, जान-माल की हानी दोनों की ही होती हैं। दुनिया में तमाम ऐसी लड़ाइयां हुई हैं, जिन्होंने इतिहास के पन्नों को मोड़ दिया है। कुछ लड़ाइयां ऐसी हुईं, जिनमें लाखों लोग काल के मुंह में समा गए, तो कुछ ऐसी रहीं, जिन्होंने पूरा साम्राज्य ही तितर-बितर कर दिया। इन युद्धों में इतना पैसा बहाया गया कि उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। जनहानि का तो कोई सटीक आंकड़ा अब तक उपलब्ध नहीं है। आइये आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही युद्ध के बारे में जो इतिहास के पन्नों में अपनी अमित छाप छोड़ गए।
* प्रथम विश्वयुद्ध :
प्रथम विश्वयुद्ध की वजह से दुनिया ने पहली बार व्यापक युद्ध देखा। ये युद्ध उस समय दुनिया के हर उस देश-महाद्वीप में लड़ा गया, जहां यूरोपीय ताकतों का आधिपत्य था। पहली बार ऐसा हुआ कि कोई युद्ध एशिया, यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका में समान ताकत के साथ लड़ा गया। 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ ये युद्ध 11 नवंबर 1918 तक चला। यानी पूरे 4 साल, 3 महीने और 2 हफ्ते। इस युद्ध की वजह से 3।9 करोड़ लोग मारे गए, जिनमें सबसे ज्यादा 13 लाख 50 हजार के करीब सैनिक अकेले जर्मन साम्राज्य से थे। इस युद्ध में रूस को करीब 12 लाख लोगों की क्षति उठानी पड़ी।
* द्वितीय विश्वयुद्ध :
द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध से भी घातक साबित हुआ। इस युद्ध में दुनिया के देशों ने खतरनाक हथियारों की नुमाइश की और जो बहुत बड़ी आबादी के विनाश का कारण बने। 1 सितंबर 1939 को जर्मनी के पोलैंड पर हमले के साथ शुरू हुआ ये युद्ध जापान पर अमेरिका के परमाणु बम हमले के बाद जापान की हार से 2 सितंबर 1945 को खत्म हुआ। यानी युद्ध पूरे 6 साल और 1 दिन चला। ये युद्ध यूरोप, एशिया, अमेरिका, अफ्रीका के लगभग सभी देशों में लड़ा गया। जिसने मजबूत देशों की कमर तोड़कर रख दी। इस युद्ध में 7 करोड़ 30 लाख लोगों की जान गई। इस युद्ध में दुनिया ने पहली बार परमाणु ताकत को देखा। कई नए देशों को भी इस युद्ध ने जन्म दिया।
* ईरान-इराक युद्ध :
ईरान और इराक के बीच युद्ध 1980-88 के बीच लड़ा गया। यह युद्ध अनिर्णीत ख़त्म हुआ था। इस युद्ध का मुख्य कारण सीमा-विवाद था। 70 के दशक में इराक के साथ सीमा विवाद को लेकर जो संधि हुई थी उससे इराक संतुष्ट नहीं था। इस युद्ध में यूरोपीय देशों ने खुद को युद्ध से अलग बताया पर हथियारों के रूप में उन्होंने इराक की मदद की। आठ साल तक चले इस युद्ध में हजारों सैनिक मारे गए। इस युद्ध के दौरान इराक ने 400 मिलियन गैलन कच्चे तेल को फारस की खाड़ी में बहा दिया था, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा था। इस युद्ध में न सिर्फ मानवीय और आर्थिक क्षति हुई, बल्कि पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचा था।
* अफगानिस्तान युद्ध :
सीधी लड़ाइयों में सोवियत रूस और अफगानिस्तान के बीच 24 दिसंबर 1979 से 15 फरवरी 1989 तक चले युद्ध में लाखों लोग मारे गए तो लाखों लोग अब भी शरणार्थी बनकर रह रहे हैं। 9 साल 1 माह, तीन सप्ताह और 1 दिन चले इस युद्ध में सोवियत सेना को पीछे हटना पड़ा। इस युद्ध में अफगानी मुजाहिदीनों को अमेरिका का सहयोग मिला। ये ऐसा युद्ध रहा, जिसने सोवियत रूस के पतन की आखिरी पटकथा लिख दी। इस युद्ध के भयंकर परिणामों में गृहयुद्ध का छिड़ना रहा जो अबतक जारी है। इसी आंतरिक अफगानिस्तान युद्ध को दबाने के लिए अमेरिका नीत नाटो सेना 7 अक्टूबर 2001 से लगातार अभियान चलाए हुए है। जिसमें अमेरिका ने तालिबान की सत्ता को उखाड़ फेंका। लेकिन ये युद्ध कब समाप्त होगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।