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एक ऐसा मेला जहां देवी की आराधना के लिए लोग बरसाते हैं पत्थर

क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक जगह ऐसी भी है जहां आस्था के चलते पत्थरबाजी का खेल होता है।

Posts by : Ankur Mundra | Updated on: Sat, 09 Dec 2017 6:55:34

एक ऐसा मेला जहां देवी की आराधना के लिए लोग बरसाते हैं पत्थर

कश्मीर में आतंकवादियों और अलगाववादियों के समर्थक सेना व पुलिस पर पत्थरबाजी करते हैं, तो देशभर में हल्ला मचना स्वभाविक है। सीमा पर चीनी और भारतीय सेना के बीच भी पत्थरबाजी होती है और दोनों तरफ कई जवान घायल हो जाते हैं, तो भी गुस्सा आना जायज है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक जगह ऐसी भी है जहां आस्था के चलते पत्थरबाजी का खेल होता है। यहां देवी के भक्त न सिर्फ एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं, बल्कि बाद में गले मिलकर एक-दूसरे की कुशलक्षेम भी पूछते हैं।

devidhura bagwal fair

दस दिन तक चलने वाला प्रसिद्ध देवीधुरा बग्वाल मेला अपने आप में खास है। उत्तराखंड कई तरह की संस्कृति और परम्पराओं से समृद्ध है। यहां कई तरह की संस्कृति देखने को मिलती हैं। प्रदेश की संस्कृतियों से अलग है देवीधुरा का बग्वाल मेला, जिसमें पत्थरों से युद्ध होता है। मान्यता के अनुसार देवी की आराधना के लिए लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं और हर बार सिर्फ 'जय मां बाराही' के जयकारे होते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इसमें निशाना बनाकर पत्थर फेंकना बिल्कुल मना है, बल्कि बग्वाली वीर आसमान की तरफ पत्थर फेंककर उसे दूसरे खेमे में पहुंचाते हैं। प्रशासन ने पिछले कुछ सालों के दौरान पत्थर फेंकने को लेकर सख्ती दिखायी है, जिसके बाद अब नाशपाती जैसे फलों का उपयोग ज्यादा होता है।

devidhura bagwal fair

यह मेला चंपावत जिले के देवीधुरा क्षेत्र में हर साल रक्षाबंधन के आसपास शुरू होता है। बग्वाल की पृष्ठ्भूमि चार राजपूत खामों से जुड़ी है, जो इस पत्थर के खेल में भाग लेते हैं, जो गहरवाल, लमगड़िया, वलकिया और चम्याल खाम हैं, श्रावण शुक्ल के दिन ये सभी लोग एक दूसरे को निमंत्रण देते हैं और बग्वाल में भाग लेते हैं। इन राजपूतों के अलावा कोई भी दूसरा व्यक्ति इस बग्वाल में भाग नहीं ले सकता है। बग्वाल मेले के दौरान चम्याल और गहरवाल खाम के राजपूत पूर्वी छोर से और लमगड़िया और वलकिया पश्चिमी छोर से मैदान में प्रवेश करते हैं। बाराही मंदिर के प्रधान पुजारी सबको आशीर्वाद देते हैं और बग्वाल के लिए लोग खास तौर से लकड़ी की बनी हुई ढाल लेकर पहुंचते हैं। आमतौर पर लमगड़िया खाम के व्यक्ति सबसे पहले पत्थर फेंक कर हमला करते हैं और इसके बाद पत्थर युद्ध की शुरुआत हो जाती है।

devidhura bagwal fair

बग्वाल खेलने वाले सभी लोग आपस में रिश्तेदार होते हैं, लेकिन बग्वाल के दौरान ये एक दूसरे पर पूरी ताकत से हमला करते हैं। इस दौरान काफी लोगों को चोटें लगती हैं, लेकिन किसी भी तरह की कोई चिल्लाने की आवाज नहीं सुनाई देती है। कहा जाता है कि जब एक व्यक्ति के बराबर खून बह जाता है तो प्रधान पुजारी शंख बजाकर इस बग्वाल की समाप्ति की घोषणा करता है, जिसके बाद सभी लोग एक दूसरे के गले मिलते हैं और एक दूसरे को बग्वाल मेले की बधाई देते हैं। बग्वाल से पहले मैदान में पत्थर नहीं दिखाई देते हैं, लेकिन बग्वाल के बाद मैदान पत्थरो से भर जाता है।

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