जाने क्यों छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, घरों में होती है यमराज की पूजा

By: Pinki Fri, 25 Oct 2019 11:35:32

जाने क्यों छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, घरों में होती है यमराज की पूजा

दिवाली (Diwali) के त्योहार से एक दिन पहले और धनतेरस के अगले दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी (Naraka Chaturdashi) भी कहा जाता है। इस दिन घरों में यमराज की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन दीपक जलाकर पूरे घर में घुमाकर उन्हें बाहर चौखट पर रखने की परंपरा है। इससे घर में सुख समृद्धि का वास होता है। इसे यम का दीपक कहते हैं। इस दिन कुल 12 दीपक जलाए जाते हैं। ऐसा कहते हैं कि यमराज के लिए तेल का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु भी टल जाती है। इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा से लाभ मिलता है। जबकि नरक चतुर्दशी पापों से मुक्ति और नरक से मुक्ति दिलाती है।

छोटी दिवाली सौन्दर्य प्राप्ति और आयु प्राप्ति का दिन भी माना जाता है। इस दिन आयु के देवता यमराज और सौन्दर्य के प्रतीक शुक्र की उपासना की जाती है। एक कथा के अनुसार आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इस उपलक्ष में दीयों की बारत सजायी जाती है। एक और कथा यह है कि रन्ति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उनके सामने यमदूत आ खड़े हुए। यमदूत को सामने देख राजा अचंभित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नर्क जाना होगा। आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है। पुण्यात्मा राजा की अनुनय भरी वाणी सुनकर यमदूत ने कहा हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक भूखा ब्राह्मण लौट गया यह उसी पापकर्म का फल है।

दूतों की इस प्रकार कहने पर राजा ने यमदूतों से कहा कि मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझे वर्ष का और समय दे दे। यमदूतों ने राजा को एक वर्ष की मोहलत दे दी। राजा अपनी परेशानी लेकर ऋषियों के पास पहुंचा और उन्हें सब वृतान्त कहकर उनसे पूछा कि कृपया इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय है। ऋषि बोले हे राजन् आप कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्रह्मणों को भोजन करवा कर उनसे अनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें।

राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया। इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करने का बड़ा महात्मय है। स्नान के पश्चात विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है। इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।

इस दिन स्नान करना क्यों है शुभ?

- इस दिन प्रातःकाल या सायंकाल चन्द्रमा की रौशनी में जल से स्नान करना चाहिए

- इस दिन विशेष चीज़ का उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए, जल गर्म न हो, ताजा या शीतल जल होना चाहिए

- ऐसा करने से न केवल अद्भुत सौन्दर्य और रूप की प्राप्ति होती है, बल्कि स्वास्थ्य की तमाम समस्याएं भी दूर होती हैं

- इस दिन स्नान करने के बाद दीपदान भी अवश्य करना चाहिए

नरक चतुर्दशी पर दीर्घायु के लिए कैसे जलाएं दीपक?

- नरक चतुर्दशी पर मुख्य दीपक लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए जलता है

- इसको यमदेवता के लिए दीपदान कहते हैं

- घर के मुख्य द्वार के बाएं ओर अनाज की ढेरी रक्खें

- इस पर सरसों के तेल का एक मुखी दीपक जलाएं

- दीपक का मुख दक्षिण दिशा ओर होना चाहिए

- अब वहां पुष्प और जल चढ़ाकर लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें

उबटन लगाकर स्नान करने से लाभ

- चन्दन का उबटन लगाकर स्नान करने से प्रेम में सफलता प्राप्त होती है

- चिरौंजी का उबटन लगाकर स्नान करने से लम्बे समय तक आकर्षण बना रहता है

- त्वचा और मन को शुद्ध करने के लिए हल्दी का उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए

- सरसों का उबटन लगाकर स्नान करने से त्वचा खूब चमकदार हो जाती है , और आलस्य दूर होता है

- बेसन का उबटन लगाकर स्नान करने से तेज बढ़ता है और व्यक्ति खूब एकाग्र हो जाता है

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