नई दिल्ली। पूर्व रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दिल्ली हाईकोर्ट से शनिवार को एक बड़ा झटका लगा है। उन्होंने ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाले में निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने की याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
दिल्ली उच्च न्यायालय ने साफ शब्दों में कहा कि निचली अदालत में जो कार्यवाही चल रही है, वह पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया के तहत हो रही है और उसमें फिलहाल किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं, और इस स्तर पर सुनवाई को रोकना उचित नहीं होगा।
क्या है 'जमीन के बदले नौकरी' घोटाला?
यह मामला वर्ष 2004 से 2009 के बीच का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे। सीबीआई के अनुसार, इस दौरान रेलवे में ग्रुप 'D' की नौकरियों के बदले कई लोगों से पटना में स्थित जमीनें लालू यादव के परिवार के नाम पर ली गईं।
इनमें से कई जमीनें कथित रूप से बेचने और गिफ्ट डीड के माध्यम से लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटा तेजस्वी यादव और एक निजी कंपनी के नाम ट्रांसफर की गईं। अधिकांश सौदे नकद में दिखाए गए थे, जो घोटाले की गंभीरता को और बढ़ाते हैं।
सीबीआई की कार्यवाही
सीबीआई ने 3 जुलाई 2023 को लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत कई लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद 10 अक्टूबर 2022 को एक विस्तृत आरोप पत्र भी पेश किया गया जिसमें 16 लोगों को आरोपी बनाया गया था।
आगे की प्रक्रिया
अब चूंकि हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है, लालू यादव और उनके परिवार को निचली अदालत की कार्यवाही का सामना करना होगा। मामले की सुनवाई आगे जारी रहेगी, और अगर आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह राजनीतिक रूप से भी बड़ा असर डाल सकता है—खासकर बिहार की मौजूदा राजनीति में जहां तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री हैं।