प्रेगनेंसी से बचाने वाला विद्ड्रॉल मेथड बन सकता है परेशानी का कारण, जानें इससे जुडी महत्वपूर्ण जानकारी

By: Ankur Tue, 01 Jan 2019 2:15:13

प्रेगनेंसी से बचाने वाला विद्ड्रॉल मेथड बन सकता है परेशानी का कारण, जानें इससे जुडी महत्वपूर्ण जानकारी

हर व्यक्ति सेक्स के हसीन पलों का मजा लेना चाहता हैं और इसके लिए वह कई तरीके अपनाना पसंद करता हैं। व्यक्ति की चाहत होती है की सुख के साथ सेक्स में सुरक्षा भी बनी रहे और इसके लिए लोग कंडोम का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं, लेकिन कई लोगों को कंडोम का इस्तेमाल करना पसंद नहीं होता हैं और वे सेक्स में विद्ड्रॉल मेथड को प्रेगनेंसी से बचाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि यह विद्ड्रॉल मेथड आपके लिए परेशानी का कारण भी बन सकता हैं। आज हम आपको विद्ड्रॉल मेथड से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते है इसके बारे में...

- कुछ लोग गर्भधारण से बचने के लिए इस मेथड का इस्तेमाल करते हैं। इसमें इजेकुलेशन से ठीक पहले पेनिस को बाहर निकाल लेना होता है। ताकि स्पर्म भीतर प्रवेश न कर सकें। ऐसे लोग बेपरवाह होकर आगे बढ़ते हैं। उन्हें लगता है कि यह सबसे सही तरीका है क्योंकि वे बिल्कुल सही समय पर विद्ड्रॉ कर लेते हैं।

- सेक्स विशेषज्ञों की मानें तो इजेकुलेशन से ठीक पहले पीनिस को बाहर निकाल लेना दुनिया भर में गर्भधारण से बचने के लिए सबसे ज़्यादा अपनाया जाने वाला तरीक़ा है। प्रेग्नेंसी की अधिकांश घटनाएं दुर्घटनावश नहीं होतीं, जैसा कि अक्सर कहा जाता है। इसका ये मतलब नहीं कि विद्ड्रॉल के तरीक़े का समर्थन किया जाना चाहिए। भले ही लोग ये क्यों न सोचते हों कि उन्हें विद्ड्रॉल का सही समय पता है, पर यह गर्भधारण से बचने का सही तरीक़ा नहीं है।

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- पुरुषों में इजेकुलेशन से पहले भी कुछ मात्रा में सीमन बाहर आ जाता है यानी यदि आपका साथी विद्ड्रॉ कर ले तब भी आपके गर्भधारण की संभावना बनी रहती है। साथ ही, यदि वे वेजाइना के नज़दीक ही इजेकुलेट करते हैं तो स्पर्म्स तैरकर अंदर जा सकते हैं। ऐसे जोड़े जो अपूर्ण इंटरकोर्स पर भरोसा करते हैं, उनके साथ दुर्घनावश प्रेग्नेंट होने की ज़्यादा संभावना होती है, क्योंकि ड्यू ड्रॉप्स जो पुरुष के उत्तेजित होने पर इजेकुलेशन से काफ़ी पहले निकलता है, में भी स्पर्म्स के होने की संभावना होती है।

- विद्ड्रॉल मेथड की असफलता की दर सालाना 27 प्रतिशत तक होती है। इसका अर्थ है कि इस तरीक़े को इस्तेमाल करने वाले चार कपल्स में से एक हर साल इसकी असफलता का शिकार होता है। अधिकतर पुरुषों के लिए ये समझ पाना मुश्क़िल होता है कि विद्ड्रॉ करने का सही समय क्या है या सेक्स के दौरान ऐसा करने की उनकी इच्छाशक्ति भी कम हो जाती है। साथ ही इस तरीक़े की वजह से सेक्शुअल संबंधों का आनंद भी कम होता है, क्योंकि सारा ध्यान इस बात पर लगा रहता है कि कब विद्ड्रॉ करना है। महिलाओं के लिए असंतुष्टिदायक हो सकता है, क्योंकि सेक्स की प्रक्रिया अचानक रुक जाए तो वे ऑर्गैज़्म तक नहीं पहुंच पातीं।

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तनाव रहित सैक्स की चाह तो करें कंडोम का इस्तेमाल, रहे निश्चिंत

कंडोम एक प्रकार का गर्भनिरोधक है जो सेक्स को सुरक्षित बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गर्भनिरोधक के रूप में कंडोम का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। वर्तमान समय में बाजार में पुरुष कंडोम के साथ महिला कंडोम भी उपलब्ध हैं।

भारतीय परिवेश में कंडोम का इस्तेमाल ज्यादातर पुरुषों द्वारा ही किया जाता है। जोडा इसका अनचाहे गर्भ से बचने और एसटीडी को रोकने के लिए इस्तेमाल करते हैं। ऐसा नहीं है कि भारत में महिला कंडोम उपलब्ध नहीं हैं, महिला कंडोम भी बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन उन्हें पुरुष कंडोम की तुलना में कम पसंद किया जाता है और इनका इस्तेमाल भी कम किया जाता है। इसकी वजह शायद यही है क्योंकि पुरुष कंडोम को पहनना और उपयोग करना आसान है।

कंडोम आमतौर पर लेटेक्स या पॉलीयुरेथेन से बने होते हैं। कंडोम एक पतली झिल्ली की तरह होते हैं जो स्पर्म (वीर्य) को वैजाइना (योनि) में प्रवेश करने से रोकते हैं और इस तरह एक अनचाहे गर्भ और एसटीडी की संभावना कम हो जाती है। पुरुष कंडोम आमतौर पर लेटेक्स से बने होते हैं और महिला कंडोम पॉलीयुरेथेन के बनाए जाते हैं। पुरुष कंडोम को लिंग के ऊपरी हिस्से (पेनिस) पर धीरे-धीरे चढाया जाता है जबकि महिला कंडोम को योनि के अंदर पहना जाता है।

ऐसे करता है पुरुष कंडोम काम — जब पुरुष कंडोम पहनता है तो वह अपने लिंग (पेनिस) को पूरी तरह से इससे ढकता है। पेनिस पूरी तरह से इरेक्ट होने पर ही कंडोम पहना जाता है। संभोग पेनिट्रेशन के समय स्पर्म (तरल पदार्थ जिसमें शुक्राणु या स्पर्म होता है) को वैजाइना में प्रवेश करने से रोकने का काम कंडोम करता है। इजैक्युलेशन के समय स्पर्म कंडोम के किनारे या नोक के पास जमा हो जाते हैं।

संभोग के वक्त जब पुरुष स्वयं को चरमोत्कर्ष पर पाता है, तब उसे महसूस होता है कि उसका वीर्य बाहर निकलने वाला है। ऐसी स्थिति में आते ही उसे अपने लिंग को योनि से बाहर निकाल लेना चाहिए। लिंग के तनाव में कमी आने पर लिंग के ऊपर लगा कंडोम फिसलने लगता है और ऐसे में वीर्य के योनि के अन्दर पहुंचने की संभावना बढ जाती है।

यूं करता है महिला कंडोम काम — महिला कंडोम में एक बंद ओपन एंड रिंग जैसी होती है। कंडोम के बंद किनारे वाले हिस्से को अंगूठे की मदद से योनि के अन्दर डाला जाता है जबकि दूसरा हिस्सा योनि के खुले हुए हिस्से के पास रहता है। कंडोम योनि की दीवारों पर स्पर्म और सर्विक्स या गर्भाशय ग्रीवा के बीच एक रुकावट के तौर पर काम करता है। संभोग के बाद कंडोम तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।

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