
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सत्ता के गलियारों में एक बार फिर सैन्य दखल और राजनीतिक तख्तापलट की अफवाहों का दौर तेज हो गया है। सोशल मीडिया से लेकर पाकिस्तानी मीडिया तक में चर्चा है कि सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर देश के अगले राष्ट्रपति बन सकते हैं और आसिफ अली जरदारी को पद छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है। हालांकि इन अटकलों को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने सिरे से खारिज कर दिया है।
क्यों उठी असीम मुनीर के राष्ट्रपति बनने की चर्चा?
पाकिस्तानी अखबार ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, अफवाहों का यह दौर तब शुरू हुआ जब असीम मुनीर और शहबाज शरीफ की प्रधानमंत्री आवास पर बैठक हुई। इसके कुछ ही घंटे बाद शरीफ ने राष्ट्रपति जरदारी से भी मुलाकात की। यह क्रमबद्ध घटनाएं राजनीतिक गलियारों में एक संकेत के रूप में देखी गईं, कि कहीं कोई बड़ा बदलाव तो नहीं होने जा रहा।
सूत्रों का कहना है कि यह चर्चाएं संभावित 27वें संविधान संशोधन के इर्द-गिर्द घूम रही हैं, हालांकि इसका कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है।
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने क्या कहा?
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्पष्ट किया कि इस तरह की अटकलों में कोई सच्चाई नहीं है। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच बैठक में यह मुद्दा जरूर उठा था। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति इस मुद्दे से पूरी तरह अवगत थे और उन्होंने सरकार पर विश्वास जताया। प्रधानमंत्री ने उन्हें मीडिया में चल रही खबरों और अफवाहों के बारे में जानकारी दी।”
आसिफ ने यह भी कहा कि शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल मुनीर की मुलाकात कोई असामान्य बात नहीं थी। उन्होंने दावा किया, “प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख हर सप्ताह तीन बार विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए मिलते हैं। सेना प्रमुख की राजनीति में कोई रुचि नहीं है।”
क्या फिर सत्ता में आना चाहती है सेना?
पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट का इतिहास लंबा और जटिल रहा है। लेकिन मौजूदा घटनाक्रम को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि सेना फिलहाल सीधी सत्ता में हिस्सेदारी नहीं, बल्कि पर्दे के पीछे से ही प्रभाव बनाए रखना चाहती है। सेना प्रमुख असीम मुनीर को हाल ही में फील्ड मार्शल बनाया गया है, जो उनके सैन्य कद को दर्शाता है। ऐसे में राष्ट्रपति बनना उनके लिए पद की गिरावट के रूप में भी देखा जा सकता है।
आसिफ ने भी इस ओर इशारा करते हुए कहा, “उन्हें (असीम मुनीर) किसी पद की जरूरत नहीं है। वो पहले से ही सेना के सर्वोच्च पद पर हैं और उन्हें हाल की घटनाओं के बाद देश में काफी सम्मान प्राप्त हुआ है।”
इस पूरे विवाद के बीच सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर दरार की अटकलें भी सामने आ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद, नेशनल असेंबली में PML-N सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। इसके चलते PPP को सत्ता में हिस्सेदारी कम हो सकती है।
हालांकि रक्षा मंत्री ने इस संभावना को भी नकारते हुए कहा: “हम एकजुट हैं। गठबंधन में कोई फूट नहीं है। सभी फैसले सामूहिक रूप से लिए जाएंगे।”
अभी नहीं है तख्तापलट की स्थिति, पर राजनीति में उठापटक जारी
हालांकि सरकारी स्तर पर इन अटकलों को खारिज किया जा रहा है, लेकिन पाकिस्तान की सियासत में विश्वास से ज्यादा संदेह का दौर चलता रहा है। सेना की बढ़ती राजनीतिक सक्रियता, बार-बार उच्चस्तरीय बैठकें और अचानक बढ़ी गहमागहमी यह संकेत जरूर देती है कि कुछ बड़ा पक रहा है। क्या यह तख्तापलट की आहट है या बस अफवाहों का बवंडर — यह आने वाले हफ्तों में स्पष्ट हो पाएगा।
लेकिन इतना तय है कि पाकिस्तान में सैनिक और असैनिक नेतृत्व के बीच की दीवार एक बार फिर कमजोर पड़ती दिख रही है।














