
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। इस बार उन्होंने टैरिफ का एक और बम फोड़ा है, जो वैश्विक व्यापार पर गहरा असर डाल सकता है। अपने बेबाक और आक्रामक फैसलों के लिए चर्चित ट्रंप ने ऐलान किया है कि फिलीपींस, मॉल्डोवा, अल्जीरिया, इराक, लीबिया और ब्रुनेई जैसे 6 देशों पर अब 25 से 30 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाया जाएगा। यह निर्णय 1 अगस्त से प्रभावी होगा और अमेरिकी व्यापार नीति को एक बार फिर सुर्खियों में ले आया है। आइए जानते हैं किस देश पर कितना टैरिफ लगाया गया है और इसके पीछे की पूरी रणनीति क्या है।
देश - टैरिफ
अल्जीरिया -30%
ब्रुनेई -25%
इराक -30%
लीबिया -30%
मोल्दोवा -25%
फिलीपींस- 20%
अब तक 20 देशों पर बरसा चुके हैं टैरिफ का कहर
ट्रंप की यह कार्रवाई अचानक नहीं आई है। इससे पहले भी वे 14 देशों को नोटिस भेज चुके हैं, जिनमें अमेरिकी व्यापार घाटे को बढ़ाने और निर्यात में बाधा डालने का आरोप लगाया गया था। अब इस नए ऐलान के साथ, ट्रंप अब तक कुल 20 देशों पर टैरिफ का बम गिरा चुके हैं। उनके इन फैसलों से ग्लोबल ट्रेड पर असर तो पड़ ही रहा है, लेकिन घरेलू राजनीति में भी यह कदम चर्चा का विषय बना हुआ है।
रेसिप्रोकल टैरिफ और ट्रंप का विज़न
अप्रैल में ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की थी, जिसके बाद से अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच बातचीत का नया दौर शुरू हुआ। कैबिनेट बैठक में उन्होंने साफ शब्दों में कहा था, "एक लेटर का मतलब होता है एक एग्रीमेंट।" अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने यह भी दोहराया कि 1 अगस्त 2025 से सभी निर्धारित टैरिफ लागू होंगे और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
ब्रिक्स पर भी निशाना, डॉलर को लेकर चिंता
ट्रंप ने अपने भाषण में ब्रिक्स देशों पर भी सख्त रुख दिखाया। भारत, चीन सहित ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों पर उन्होंने आरोप लगाया कि ये देश अमेरिका को कमजोर करने और डॉलर की ताकत को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप ने घोषणा की कि ब्रिक्स समूह से आने वाले सभी उत्पादों पर अब 10 प्रतिशत का टैरिफ लगाया जाएगा। यह बयान अमेरिका की आर्थिक रक्षा नीति को और स्पष्ट करता है।
व्यवसायों से अपील: उत्पादन अमेरिका में करें शिफ्ट
इन तमाम टैरिफ फैसलों के बीच ट्रंप लगातार अमेरिकी कंपनियों से आग्रह कर रहे हैं कि वे अपना प्रोडक्शन अमेरिका में स्थानांतरित करें, ताकि नए टैरिफ से बचा जा सके और देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाया जा सके। उनका यह कदम 'मेक इन अमेरिका' अभियान को आगे बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है।














