मध्य पूर्व एक बार फिर से जंग की दहलीज पर खड़ा हो चुका है, जहां हर पल हालात और ज्यादा विस्फोटक होते जा रहे हैं। शुक्रवार, 13 जून की सुबह इजराइल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत ईरान के नतांज एनरिचमेंट प्लांट समेत कई अहम और रणनीतिक ठिकानों पर जोरदार और सुनियोजित हमला किया। इस जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने भी पीछे हटने की बजाय ‘ट्रू प्रॉमिस थ्री’ नाम से 150 से ज्यादा मिसाइलें दाग दीं और इजराइली रक्षा मंत्रालय को टारगेट करने का बड़ा दावा किया।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चौंकाने वाली और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बात यह रही कि इजराइल ने ईरान के परमाणु किले नतांज को पूरी तरह से तबाह कर दिया, लेकिन जानबूझकर उस अत्यंत संवेदनशील शहर को छोड़ दिया जहां अगर हमला होता, तो नतीजा सिर्फ एक जवाबी हमला नहीं, बल्कि एक भयावह परमाणु त्रासदी में बदल सकता था। इस शहर का नाम है बुशहर, जहां ईरान का एकमात्र सक्रिय और चालू न्यूक्लियर प्लांट स्थित है।
बुशहर को क्यों बख्शा?
बुशहर रिएक्टर न केवल बिजली पैदा करता है, बल्कि इसमें से हथियार निर्माण योग्य प्लूटोनियम भी निकाला जा सकता है, जिससे परमाणु अस्त्र बनाने की क्षमता बनती है। लेकिन क्योंकि यह एक लाइव और फंक्शनल रिएक्टर है, उस पर हमला करना पूरे इलाके को रेडिएशन जोन में तब्दील कर सकता था। खासतौर पर इसलिए भी, क्योंकि बुशहर यूएई की सीमा से सिर्फ 20 किलोमीटर की दूरी पर है, यानी ज़रा सी भी गलती पूरे खाड़ी क्षेत्र को रेडियोधर्मी खतरे में डाल सकती थी। यही कारण था कि इजराइल ने इस संवेदनशील रिएक्टर को बख्शने में ही समझदारी समझी।
नतांज को क्यों चुना गया?
इसीलिए, एक रणनीतिक और तकनीकी सोच के तहत इजराइल ने नतांज को निशाना बनाया। यह स्थान यूरेनियम को शुद्ध करने की प्रमुख साइट है, कोई न्यूक्लियर रिएक्टर नहीं। यहां हजारों सेंट्रीफ्यूज यूरेनियम को घुमा रहे थे ताकि उसमें यू-235 की मात्रा बढ़ाई जा सके, जो परमाणु हथियारों और ऊर्जा उत्पादन दोनों के लिए अहम होता है। इस साइट पर हमला करने से बड़े पैमाने पर रेडिएशन का खतरा नहीं था, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रतिक्रिया को सीमित रखा जा सके। हां, यह ज़रूर कहा जा सकता है कि साइट पर मौजूद टेक्नीशियनों को हल्की रेडिएशन या गैस रिसाव का खतरा रहा होगा, लेकिन किसी बड़े पैमाने पर शहर खाली कराने जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई।
नतांज: पहले भी इजराइली निशाने पर रहा
वैसे भी, नतांज पहली बार इजराइली निशाने पर नहीं आया है। 2011 में अमेरिका और इजराइल ने मिलकर ‘Stuxnet’ नाम का एक बेहद खतरनाक साइबर वायरस छोड़ा था, जिसने हजारों सेंट्रीफ्यूज को खराब कर दिया था। इसके अलावा, 2020 और 2021 में भी यहां पर धमाके और बार-बार पावर फेलियर जैसी घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन इस बार के हमले में सिर्फ मशीनें ही नहीं, बल्कि एनरिचमेंट हॉल और बिजली सप्लाई सिस्टम तक को बुरी तरह से तबाह कर दिया गया है।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने अपने बयान में साफ किया है कि इस वक्त किसी तरह के रेडिएशन का तत्काल खतरा नहीं है और बुशहर रिएक्टर भी पूरी तरह से सुरक्षित बना हुआ है। लेकिन, इसके बावजूद डर अब भी कायम है कि अगर अगली बार किसी रिएक्टर को निशाना बनाया गया, तो यह सिर्फ ईरान-इजराइल की लड़ाई तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह एक वैश्विक परमाणु संकट में तब्दील हो सकती है, जिसका असर पूरी मानवता पर पड़ेगा।