सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को कोलकाता हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सांप्रदायिक वीडियो पोस्ट करने के मामले में कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है, लेकिन देश छोड़ने पर रोक लगा दी गई है। इससे पहले मंगलवार को जमानत देने से इनकार किया गया था, पर गुरुवार को सुनवाई में उन्हें बेल मिल गई।
पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी की पीठ ने कहा था कि शर्मिष्ठा की टिप्पणियों ने एक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इसलिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग दूसरों को आहत करने के लिए नहीं होना चाहिए। जस्टिस ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई पर केस डायरी पेश करने का आदेश भी दिया था।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में दर्ज उस मामले की जांच होगी, जिसके आधार पर पनोली को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था। बाकी सभी प्राथमिकी अगले आदेश तक रोक दी गई हैं। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार सुनिश्चित करे कि पनोली के खिलाफ इस मामले में आगे कोई नया केस न दर्ज हो। अदालत ने यह भी कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में सार्वजनिक टिप्पणी करते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
पिछले साल ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शर्मिष्ठा ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, जिस पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप लगा। वह पुणे की एक लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही हैं। वीडियो वायरल होने के बाद भारी विवाद हुआ और गिरफ्तारी की मांग उठी। बाद में उन्होंने वीडियो डिलीट कर माफी मांगी, लेकिन तब तक कोलकाता में एफआईआर दर्ज हो चुकी थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जब शर्मिष्ठा अपने परिवार के साथ छिपने लगीं, तो कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया और गुरुग्राम पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने ममता बनर्जी सरकार पर अभिव्यक्ति की आज़ादी दबाने का आरोप लगाया। नीदरलैंड के सांसद गीर्ट वाइल्डर्स ने भी इस गिरफ्तारी की निंदा करते हुए उन्हें रिहा करने की मांग की।