
ओडिशा के बालासोर में एक कॉलेज छात्रा की आत्मदाह की घटना ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। जहां पहले कॉलेज प्रशासन पर सवाल उठे थे, वहीं अब छात्र संगठन एबीवीपी के दो नेताओं की गिरफ्तारी ने मामले को और गंभीर बना दिया है। छात्रा को आत्महत्या के लिए उकसाने और मदद करने के आरोप में ये गिरफ्तारी की गई है।
छात्रा को आत्मदाह के लिए उकसाने का आरोप, दो एबीवीपी कार्यकर्ता हिरासत में
बालासोर स्थित फकीर मोहन कॉलेज में पढ़ने वाली एक 20 वर्षीय छात्रा द्वारा आत्मदाह किए जाने के मामले में अब तक कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ चुके हैं। पुलिस ने छात्रा को आत्मदाह के लिए उकसाने और उसके कृत्य में मदद करने के आरोप में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इनमें एक छात्रा ज्योति प्रकाश बिस्वाल शामिल है, जो खुद भी आग से झुलस गई थी, और दूसरा शुभ्रा संबैत नायक है, जो एबीवीपी की राज्य इकाई में संयुक्त सचिव है।
ज्योति बिस्वाल को कुछ दिनों पहले ही एससीबी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, कटक से छुट्टी दी गई थी, जहां उसका इलाज चल रहा था। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आत्मदाह की इस घटना में बिस्वाल की भूमिका केवल दर्शक या पीड़िता की सहायक के रूप में नहीं, बल्कि सक्रिय सहभागी की तरह रही है। आरोप है कि बिस्वाल और नायक दोनों ने छात्रा को आत्मदाह के लिए प्रेरित किया और मदद भी की।
कॉलेज प्रशासन भी सवालों के घेरे में
इससे पहले इस मामले में कॉलेज के एक सहायक प्रोफेसर समीरा कुमार साहू और संस्थान के पूर्व प्राचार्य दिलीप घोष को गिरफ्तार किया जा चुका है। छात्रा ने आत्मदाह से पहले साहू के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करवाई थी। इसके बाद से ही यह मामला मीडिया और छात्र संगठनों के बीच चर्चा का विषय बन गया।
हालांकि, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की एक टीम ने कॉलेज का दौरा किया और आंतरिक शिकायत समिति (ICC) से पूछताछ की थी। समिति की रिपोर्ट के अनुसार, छात्रा के द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं। इसके बावजूद, उच्च शिक्षा विभाग की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी इस मामले की स्वतंत्र जांच कर रही है।
आत्महत्या या सुनियोजित उकसावा? उठ रहे हैं गंभीर सवाल
इस घटना ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। छात्रा ने जिस तरीके से अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह किया, वह एक असामान्य और हृदयविदारक स्थिति को दर्शाता है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह आत्महत्या केवल प्रशासन की अनदेखी का नतीजा थी, या फिर इसमें कुछ लोगों ने जानबूझकर उसे ऐसा करने के लिए प्रेरित किया?
पुलिस जांच के अनुसार, छात्रा मानसिक रूप से बहुत दबाव में थी और उसके इर्द-गिर्द के कुछ छात्रों ने उसके इस कदम को उकसाया। यह भी कहा जा रहा है कि कुछ छात्रों ने आत्मदाह की तैयारी में उसकी मदद की, जो कि एक आपराधिक कृत्य के तहत आता है।
राजनीतिक हलचल और एबीवीपी पर दबाव
एबीवीपी, जो बीजेपी से जुड़ा एक बड़ा छात्र संगठन है, अब इस मामले को लेकर आलोचना के घेरे में है। छात्रा की मौत ने पूरे छात्र समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है और कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं। संगठन ने हालांकि इन आरोपों को खारिज किया है, लेकिन अब जब उसके दो प्रमुख सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, तो संगठन की साख और नैतिकता दोनों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बालासोर आत्मदाह कांड एक ऐसा मामला बन चुका है जिसमें छात्रा की मौत के साथ-साथ कई संस्थानों की भूमिका, नैतिकता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कॉलेज प्रशासन, आंतरिक शिकायत तंत्र और छात्र संगठनों की कार्यशैली पर अब बारीकी से जांच की जा रही है। यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की संवेदनहीनता का भी एक दुखद उदाहरण बन चुकी है। जांच के आगे बढ़ने के साथ और कई खुलासों की संभावना है।
अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच न हुई तो यह केवल एक छात्रा की जान ही नहीं, बल्कि छात्रों के पूरे विश्वास तंत्र को हिला सकता है।














