कांग्रेस पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के भाई और मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह के खिलाफ एक बड़ा और सख्त ऐक्शन लेते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। पार्टी विरोधी गतिविधियों और आपत्तिजनक बयानों की वजह से उन्हें छह साल की निष्कासन की सजा दी गई है। इससे पहले, पार्टी ने लक्ष्मण सिंह को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था, लेकिन जवाब संतोषजनक न होने के कारण यह कड़ा कदम उठाया गया।
यह मामला राहुल गांधी समेत कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर की गई अपमानजनक और असंयमित टिप्पणियों से जुड़ा है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि लक्ष्मण सिंह द्वारा दिए गए बयानों ने पार्टी की छवि को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त किया है और यह अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा है।
क्या था लक्ष्मण सिंह का विवादास्पद बयान?
नोटिस के अनुसार, उनकी टिप्पणी ने पार्टी की गरिमा को बुरी तरह प्रभावित किया। 25 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद लक्ष्मण सिंह ने श्रद्धांजलि सभा के दौरान कांग्रेस नेतृत्व पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि "राहुल गांधी और रॉबर्ट वाड्रा बहुत नादान हैं और देश उनकी अपरिपक्वता का खामियाज़ा भुगत रहा है।" इस बयान से पार्टी में गंभीर असंतोष फैल गया।
9 मई को पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति (DAC) के सदस्य सचिव तारिक अनवर द्वारा उन्हें नोटिस जारी किया गया था, जिसके बाद पार्टी ने तेज और निर्णायक कार्रवाई करते हुए उन्हें 6 वर्षों के लिए प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया।
भाजपा से भी जुड़ चुके हैं लक्ष्मण सिंह
पूर्व सांसद और पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह पहले भारतीय जनता पार्टी में भी सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। 25 अप्रैल को उन्होंने जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर भी आतंकवादियों से मिलीभगत का संकेत देते हुए तीखा हमला बोला।
उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा के बयान पर भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, "यह कहना कि मुस्लिमों को सड़क पर नमाज़ न पढ़ने देने के कारण हमला हुआ, न केवल गैर-जिम्मेदाराना है बल्कि देश की सुरक्षा के लिए एक खतरनाक बयान है।" सिंह ने यह भी कहा कि वह यह सब कैमरे के सामने कह रहे हैं ताकि कोई भ्रमित न हो। साथ ही कांग्रेस को चेताया कि यदि नेताओं ने बिना सोच-समझ कर बयान देना बंद नहीं किया, तो जनता चुनाव में उन्हें करारा जवाब देगी।