गुरुवार दोपहर को अहमदाबाद में हुआ भीषण विमान हादसा महज़ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि वह भयानक मंजर दोबारा ज़िंदा कर गया जो 37 साल पहले 1988 में शहर ने झेला था। उस वक्त भी एक विमान दुर्घटना ने देश को झकझोर दिया था। उस हादसे में बोइंग 737-200 विमान, खराब मौसम और बेहद कम दृश्यता के कारण नोबल नगर के खेतों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। यह हादसा भारतीय विमानन इतिहास की सबसे भयावह घटनाओं में से एक मानी जाती है, जिसमें 137 में से 135 लोगों की जान चली गई थी।
19 नवंबर 1988 को जब विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लैंड करने की कोशिश कर रहा था, तभी अचानक घनी धुंध और दृश्यता की कमी के कारण उसका संतुलन बिगड़ा और वह हवा में डगमगाता हुआ एक धान के खेत में जा गिरा। जमीन से जबरदस्त टकराव के कारण प्लेन के परखच्चे उड़ गए और उसमें मौजूद यात्रियों और सभी क्रू मेंबर्स की मौत हो गई।
इस त्रासदी में केवल दो लोग चमत्कारिक रूप से बच पाए थे। इन दो लोगों के नाम अशोक अग्रवाल और विनोद त्रिपाठी थे। अशोक अग्रवाल की उस हादसे में 11 महीने की बेटी की मौत हो गई थी, जो उनके साथ यात्रा कर रही थीं। यह हादसा उनके जीवन का ऐसा मोड़ बन गया जिससे वे कभी उबर नहीं पाए। 32 साल बाद, उनकी मृत देह अहमदाबाद के फ्लैट में मिली, जिसने एक बार फिर उस भूली हुई त्रासदी को सार्वजनिक कर दिया।
गुरुवार को हुए AI171 विमान हादसे ने इन पुरानी स्मृतियों को ताज़ा कर दिया है। कई लोगों की मौत की आशंका के बीच, शहर और देश एक बार फिर दहशत, शोक और चिंता की लहर में डूब गया है।