
बिहार चुनाव परिणाम सामने आने के बाद लालू यादव के परिवार में छिड़ी आंतरिक जंग पर एनडीए सहयोगी और रालोजपा (लोकतांत्रिक) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह का माहौल लालू परिवार के भीतर बना है, उसके लिए वे खुद जिम्मेदार हैं। लोग सब समझ रहे हैं और यही वजह है कि जनता ने उन्हें खारिज कर दिया। जो लोग अपने परिवार तक को एकजुट नहीं रख पा रहे, वे पूरे राज्य की बागडोर कैसे संभाल पाएंगे?
गौरतलब है कि पहले तेज प्रताप यादव को आरजेडी से छह साल के लिए निष्कासित किया गया और उसके बाद वे परिवार से भी अलग कर दिए गए। इसी कड़ी में अब रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से दूरी बनाने का औपचारिक ऐलान कर दिया, जिससे राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई है।
मीडिया से बातचीत में रोहिणी ने स्पष्ट कहा कि "मेरा अब कोई परिवार नहीं है। आप अपने सवाल संजय यादव, रमीज और तेजस्वी से पूछिए। उन्होंने ही मुझे परिवार से बाहर किया है।" उन्होंने आरोप लगाया कि इस पूरे विवाद में कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है जबकि पूरा देश इस कलह को देख रहा है। उन्होंने आगे कहा कि जो खुद को रणनीतिकार बताते हैं, उन्हीं से पूछा जाना चाहिए कि पार्टी की ऐसी हालत क्यों हुई? कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भी यही सवाल उठ रहे हैं। उनका कहना है कि "अगर आप संजय या रमीज के खिलाफ कुछ कहें, तो आपको बदनाम किया जाता है, घर से निकाल दिया जाता है, गाली-गलौज का सामना करना पड़ता है और यहाँ तक कि चप्पल तक उठा ली जाती है।" इन आरोपों के बाद बिहार की राजनीति का तापमान और बढ़ गया है।
उधर, चुनाव के नतीजों के बाद विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा था कि भाजपा बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा राजनीतिक खेल खेलेगी और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनने से रोक देगी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि विपक्ष सिर्फ अफवाहें फैलाता रहा, लेकिन सच्चाई सबके सामने है। उन्होंने कहा कि "ये लोग बार-बार कह रहे थे कि बिहार में भी महाराष्ट्र जैसे हालात पैदा होंगे, लेकिन जो स्थिति है वह सभी देख रहे हैं—नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बन रहे हैं।"
कुशवाहा ने विपक्ष पर जनता को भड़काने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया।
इधर, बिहार की राजनीतिक प्रक्रिया भी तेजी से आगे बढ़ रही है। जानकारी के मुताबिक, 17वीं बिहार विधानसभा 19 नवंबर को भंग हो जाएगी। इसी दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना इस्तीफा सौंपेंगे। इसके अगले ही दिन यानी 20 नवंबर को वे दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। सोमवार को हुई मौजूदा मंत्रिपरिषद की अंतिम बैठक में विधानसभा भंग करने की सिफारिश को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद नीतीश कुमार स्वयं राजभवन पहुँचे और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को कैबिनेट का प्रस्ताव सौंप दिया। इसके साथ ही राज्य में नई सरकार के गठन का मार्ग साफ हो गया है।














