
बिहार चुनाव परिणामों के बाद राज्य की राजनीति एक बार फिर बड़े बदलावों की तरफ बढ़ती दिख रही है। सत्ता परिवर्तन के संकेत न केवल राजनीतिक दायरों में, बल्कि आम जनता की चर्चा में भी साफ नजर आ रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि नई सरकार पद संभालते ही शराबबंदी के नियमों पर पुनर्विचार कर सकती है। इसके साथ ही राज्य की आय बढ़ाने, नई योजनाएं लाने और लोक-कल्याण से जुड़ी नीतियों को प्राथमिकता देने की संभावना भी जताई जा रही है।
साथ ही, लोग इस बात को लेकर भी उत्सुक हैं कि नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में क्या बड़े फैसले सामने आएंगे और राजद के भीतर चल रही खींचतान का क्या असर राजनीति पर पड़ेगा।
तो आइए जानते हैं, नई सरकार के गठन के बाद बिहार में क्या-क्या बदले की उम्मीद है।
1. शराबबंदी पर नए सिरे से विचार?
सूत्रों का कहना है कि नई सरकार बनने के बाद शराबबंदी कानून की विस्तृत समीक्षा की जा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अन्य राज्यों में लागू शराबबंदी मॉडल का अध्ययन कर बिहार में कुछ प्रावधानों में छूट या बदलाव की संभावना है। यह भी माना जा रहा है कि सरकार शराबबंदी के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान पर भी विचार कर सकती है।
2. क्या चिराग पासवान मांगेंगे उपमुख्यमंत्री पद?
पिछली सरकार में बीजेपी की तरफ से दो उपमुख्यमंत्री थे। लेकिन इस बार लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के बेहतर प्रदर्शन के चलते चर्चाएं तेज हैं कि चिराग पासवान अपनी पार्टी के लिए डिप्टी सीएम का पद मांग सकते हैं। हालांकि हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछे गए इस सवाल पर चिराग ने साफ कहा कि सरकार में पार्टी की भूमिका पर अभी चर्चा शुरू ही नहीं हुई है। इसके बावजूद राजनीतिक गलियारों में इस संभावना को ख़ारिज नहीं किया जा रहा।
3. पहली कैबिनेट में क्या आ सकता है बड़ा फैसला?
एनडीए ने अपने घोषणापत्र में यह नहीं बताया था कि सत्ता में लौटने के बाद पहला फैसला क्या होगा। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महिलाओं और युवाओं के बड़े समर्थन को देखते हुए रोजगार, नौकरी या किसी नई कल्याणकारी योजना का ऐलान किया जा सकता है।
किसानों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण निर्णय भी पहली बैठक का हिस्सा बन सकते हैं।
4. सरकार राजस्व कैसे बढ़ाएगी?
नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य की आय बढ़ाना है। शराबबंदी की समीक्षा तो इसका एक पहलू है ही, इसके अलावा सरकार बड़े निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नीति-स्तर पर कई बदलाव कर सकती है। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा पहले ही कह चुके हैं कि यह सरकार बिहारियों के सम्मान और विकास को प्राथमिकता देगी, और निवेशकों के लिए राज्य को बेहतर गंतव्य बनाया जाएगा।
5. लालू परिवार में बढ़ सकती है खींचतान
हालांकि सरकार गठन का लालू प्रसाद यादव के परिवार की अंदरूनी खटपट से सीधा संबंध नहीं है, लेकिन राजद की हार ने पुराने मतभेदों को और उभार दिया है। तेजस्वी यादव और उनकी बहनों के बीच बढ़ती दूरी खुलकर सामने आ चुकी है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में पारिवारिक विवाद और गहराने की आशंका है, जिसका असर न केवल पार्टी की एकजुटता बल्कि उसके नेतृत्व की कार्यशैली पर भी दिखाई दे सकता है।














