पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। सरकार ने अगड़ी जातियों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए एक नया विकास आयोग गठित किया है। इस आयोग में भाजपा और जदयू के नेताओं को प्रमुख जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। यह कदम राज्य की सवर्ण जातियों को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
उच्च जातियों के विकास के लिए बने इस आयोग के अध्यक्ष वरिष्ठ भाजपा नेता महाचंद्र सिंह बनाए गए हैं, जबकि जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता राजीव रंजन प्रसाद को उपाध्यक्ष बनाया गया है। दयानंद राय, जय कृष्ण झा, राजकुमार सिंह को सदस्य बनाया गया है।
सभी सदस्यों का तीन साल होगा कार्यकाल
इस आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे। सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद को उच्च जाति आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं दयानंद राय, जय कृष्ण झा और राजकुमार सिंह को सदस्य नियुक्त किया गया है। अध्यक्ष-उपाध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्षों का होगा।
राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग को मिला नया अध्यक्ष
इसी के साथ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग में भी महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। पश्चिम चंपारण के शैलेंद्र कुमार को आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनके साथ सुरेंद्र उरांव उपाध्यक्ष होंगे, जबकि प्रेमलीला गुप्ता, तल्लू बास्के और राजू कुमार को सदस्य बनाया गया है। इस आयोग का भी कार्यकाल तीन साल होगा।
बिहार अल्पसंख्यक आयोग का पुनर्गठन
यह घोषणा जेडीयू के गुलाम रसूल को राज्य के अल्पसंख्यक आयोग का प्रमुख नियुक्त किए जाने के एक दिन बाद हुई है। बता दें कि गुरुवार को नीतीश कुमार की सरकार ने राज्य में अल्पसंख्यक आयोग का पुनर्गठन किया था। अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन गुलाम रसूल बलयावी बनाया गया था। आयोग में 10 अन्य सदस्य भी बनाए गए हैं। गुलाम रसूल पार्टी के सीनियर नेता हैं और पूर्व में सांसद भी रह चुके हैं।
बिहार चुनाव से पहले बड़ा सियासी संदेश
बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं और इससे पहले राज्य सरकार का यह कदम राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है। जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सत्ता बचाने के लिए हर वर्ग को साधने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं आरजेडी और कांग्रेस जैसे विपक्षी दल चुनावी वादों के साथ मैदान में उतर चुके हैं।
महागठबंधन ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर महिलाओं को हर महीने ₹2500 दिए जाएंगे। ऐसे में सवर्णों के लिए अलग से आयोग बनाना एनडीए की ओर से बड़ा सामाजिक और राजनीतिक सिग्नल है।