भारत के एथलेटिक्स इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ गया है। टोक्यो ओलंपिक चैंपियन और विश्व विजेता नीरज चोपड़ा ने शुक्रवार को दोहा डायमंड लीग में भाला फेंक प्रतियोगिता में 90 मीटर की दूरी पार कर वह कारनामा कर दिखाया, जिसका इंतज़ार पूरे देश को लंबे समय से था। यह उपलब्धि सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि नीरज के करियर की सबसे अहम मानसिक बाधा थी, जिसे उन्होंने अदम्य साहस और मेहनत से पार किया।
दोहा डायमंड लीग 2025 के मुकाबले में जब नीरज चोपड़ा ने अपने तीसरे प्रयास में भाला 90.23 मीटर दूर फेंका, तो स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। यह न केवल उनका पर्सनल बेस्ट था, बल्कि पहली बार उन्होंने प्रतिष्ठित 90 मीटर के आंकड़े को पार किया, जो अब तक उनके लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ था। हालांकि जर्मनी के वेबर जूलियन ने अंतिम थ्रो में 91.06 मीटर की दूरी नापकर गोल्ड पर कब्जा कर लिया, लेकिन नीरज का यह प्रदर्शन भारतीय खेल इतिहास में मील का पत्थर बन गया।
नीरज अब “90 मीटर क्लब” में शामिल हो गए हैं, जहां पहले से पाकिस्तान के अर्शद नदीम जैसे दिग्गज मौजूद हैं। यह उपलब्धि नीरज के लिए केवल एक संख्या नहीं, बल्कि खुद से की गई एक लड़ाई की जीत है। वर्षों से इस आंकड़े के करीब पहुंचने के बावजूद इससे चूक जाना उन्हें भीतर से चुनौती देता रहा था। अब, उन्होंने न केवल इस बाधा को पार किया, बल्कि पूरे देश का सीना गर्व से ऊंचा कर दिया।
इस उपलब्धि के पीछे उनके नए कोच जान जेलेज्नी की भी अहम भूमिका मानी जा रही है, जिन्होंने तकनीक और मानसिक तैयारी के स्तर पर नीरज में नया आत्मविश्वास भर दिया। दोहा का यह मुकाबला नीरज के सीजन का पहला बड़ा इवेंट था, जहां उन्होंने दुनिया के टॉप एथलीटों का सामना करते हुए यह करिश्मा कर दिखाया। एंडरसन पीटर्स (85.64 मीटर) ने कांस्य पदक जीता, लेकिन असली आकर्षण नीरज की ऐतिहासिक छलांग रही।
नीरज चोपड़ा ने यह साबित कर दिया है कि सीमाएं केवल सोच में होती हैं। अब जब 90 मीटर पार हो चुका है, तो आने वाले ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप में उनसे और भी बड़े कमाल की उम्मीद की जा सकती है। यह सिर्फ भाला नहीं था, यह एक सपना था—जो अब साकार हो चुका है।