आईपीएल का मंच अब सिर्फ खेल का मैदान नहीं रह गया है, बल्कि ये एक विशाल बिजनेस एम्पायर बन चुका है, जहां एक-एक मैच जीतने और हारने के पीछे लाखों-करोड़ों रुपये का गणित छुपा होता है। क्रिकेट फैंस के लिए ये मुकाबले रोमांच का स्रोत होते हैं, लेकिन टीम मालिकों के लिए ये आर्थिक फायदे और नुकसान का खेल है।
मुंबई इंडियंस, जिसे उद्योगपति मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी चलाती हैं, 1 जून 2025 को खेले गए मुकाबले में पंजाब किंग्स से हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई। इस हार का असर सिर्फ मैदान तक नहीं, बल्कि नीता अंबानी की जेब पर भी पड़ा है।
फाइनल से बाहर होना पड़ा भारी, नीता अंबानी को करोड़ों का घाटा
आईपीएल के फाइनल मुकाबले का आकर्षण सबसे अधिक होता है। फाइनल में पहुंचने वाली टीमों को न सिर्फ इनाम की भारी-भरकम राशि मिलती है, बल्कि ब्रॉडकास्टिंग, स्पॉन्सरशिप, टिकटिंग और मर्चेंडाइजिंग से भी मोटी कमाई होती है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, फाइनल मैच की टिकटों की कीमत सामान्य लीग मैचों के मुकाबले 4-5 गुना ज्यादा होती है।
स्पॉन्सर ब्रांड्स फाइनल के लिए करोड़ों रुपये अलग से खर्च करते हैं ताकि उनकी ब्रांडिंग ज्यादा दर्शकों तक पहुंचे।
विजेता टीम को लगभग ₹20 करोड़ और रनरअप को भी ₹12-13 करोड़ तक की इनामी राशि मिलती है, जो फ्रेंचाइज़ी और खिलाड़ियों में बांटी जाती है।
मुंबई इंडियंस के बाहर हो जाने की वजह से न सिर्फ ये कमाई हाथ से गई, बल्कि उनकी ब्रांड वैल्यू और मीडिया एक्सपोजर पर भी असर पड़ा है।
हर साल करोड़ों खर्च करती हैं नीता अंबानी
नीता अंबानी न सिर्फ खिलाड़ियों की नीलामी में खुलकर बोली लगाती हैं, बल्कि टीम के ट्रेनिंग, सपोर्ट स्टाफ, मार्केटिंग और लॉजिस्टिक्स पर भी हर साल 100-150 करोड़ रुपये तक खर्च किए जाते हैं। उनका लक्ष्य हर साल ट्रॉफी जीतना और टीम की ब्रांड वैल्यू बनाए रखना होता है।
पंजाब बनाम आरसीबी फाइनल की टक्कर
मुंबई इंडियंस के टूर्नामेंट से बाहर होने के बाद पंजाब किंग्स ने पहली बार आईपीएल फाइनल में जगह बनाई है, जहां उनका सामना रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु से होगा। इस मुकाबले से तय होगा कि इस बार की ट्रॉफी किसके हाथ लगती है, लेकिन मुंबई इंडियंस के बाहर होने से उनके फैंस जरूर निराश हुए हैं।