बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने तेलुगु अभिनेता तरुण राजू को जमानत देने से इनकार कर दिया है। वह कन्नड़ अभिनेत्री रन्या राव से जुड़े हाई-प्रोफाइल सोने की तस्करी मामले में दूसरे आरोपी हैं।
फॉरेंसिक साक्ष्य और गवाही से जुड़े अहम खुलासे
न्यूज़18 द्वारा प्राप्त अदालत के आदेश में फॉरेंसिक साक्ष्य और गवाहियों का उल्लेख किया गया है, जो कथित रूप से यह साबित करते हैं कि राजू दुबई, जिनेवा और भारत के बीच संचालित एक संगठित तस्करी नेटवर्क से जुड़े थे। राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), बेंगलुरु ने राजू पर 12.56 करोड़ रुपये के सोने की अवैध आयात में सहायता करने और 4.83 करोड़ रुपये के सीमा शुल्क चोरी का आरोप लगाया है।
अदालत ने जमानत क्यों खारिज की?
अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद यह फैसला दिया कि इस चरण में राजू को जमानत देना जांच को प्रभावित कर सकता है। न्यायाधीश ने कहा, "अपराध की प्रकृति देश की आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालती है और वैध व्यापार को प्रभावित करती है।" साक्ष्यों से यह भी संकेत मिला कि यह तस्करी एक बड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा थी। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि राजू को रिहा किया जाता है, तो जांच से जुड़े महत्वपूर्ण सुराग नष्ट हो सकते हैं। इसके अलावा, उनकी अमेरिकी नागरिकता और OCI (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया) दर्जा उन्हें संभावित रूप से भागने का जोखिम बना देता है।
राजू पर लगाए गए आरोप
अभियोजन पक्ष ने राजू की जमानत का कड़ा विरोध किया और फॉरेंसिक साक्ष्य, डिजिटल रिकॉर्ड और गवाहियों को पेश किया, जो कथित रूप से यह साबित करते हैं कि राजू भारत में सोने की तस्करी में शामिल थे। जांचकर्ताओं का कहना है कि राजू दुबई से सोना लाने और उसे धोखाधड़ी से निर्यात दस्तावेजों के जरिए भारत में लाने में मदद कर रहे थे। इन दस्तावेजों में दावा किया जाता था कि सोना जिनेवा या बैंकॉक भेजा जा रहा है, जबकि वास्तव में इसे भारत में तस्करी से लाया जा रहा था। DRI ने दावा किया कि राजू और मुख्य आरोपी रन्या राव ने मिलकर 2023 में 'वीरा डायमंड्स' नामक दुबई स्थित कीमती धातु और हीरे का व्यापार करने वाली कंपनी स्थापित की थी। हालांकि, राजू का दावा है कि उन्होंने दिसंबर 2024 में इस कंपनी से खुद को अलग कर लिया था। लेकिन अभियोजन पक्ष का कहना है कि वे अभी भी तस्करी गतिविधियों में शामिल थे। DRI की शिकायत के अनुसार, राजू अपने अमेरिकी पासपोर्ट का उपयोग सोने को सीमा शुल्क से बचाकर भारत लाने के लिए कर रहे थे। उन्हें दुबई के लिए अलग से वीजा की आवश्यकता नहीं थी, जिससे उन्हें सामान की घोषणा करने में आसानी होती थी। जांचकर्ताओं ने पाया कि दुबई में राजू के नाम पर सोना खरीदा जा रहा था और इसे रणनीतिक रूप से सीमा शुल्क की खामियों का फायदा उठाकर भारत में लाया जा रहा था।
हवाला के जरिए पैसे का लेन-देन
DRI सूत्रों के अनुसार, इस तस्करी नेटवर्क में हवाला लेन-देन का भी इस्तेमाल किया गया था, जिससे भारत से दुबई तक धन का हस्तांतरण संभव हुआ। जांच में यह भी सामने आया कि इस गिरोह के जिनेवा और बैंकॉक में प्रभावशाली संपर्क थे, जो अवैध व्यापार में उनकी मदद कर रहे थे।
बचाव पक्ष की दलीलें
राजू के वकीलों का कहना है कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है और मुख्य आरोपी रन्या राव के एक देरी से दिए गए बयान के आधार पर यह मामला बनाया गया है। उनका दावा है कि दिसंबर 2024 के बाद राजू का सोने की तस्करी से कोई लेना-देना नहीं था और जिस सोने की बात की जा रही है, वह अवैध नहीं बल्कि सीमा शुल्क योग्य था। वकीलों ने यह भी कहा कि राजू के खिलाफ गिरफ्तारी की प्रक्रिया में कई खामियां थीं और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों (सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआई और अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य) का हवाला देते हुए उन्होंने गिरफ्तारी को अनुचित बताया। इसके अलावा, वकीलों ने राजू की नागरिकता और यात्रा इतिहास को लेकर अभियोजन पक्ष की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि उनकी विधवा माँ और छोटा भाई स्थायी रूप से बेंगलुरु में रहते हैं, जिससे उनके फरार होने की संभावना नहीं है।
अभियोजन पक्ष की प्रतिक्रिया
अभियोजन पक्ष ने राजू के बचाव में दिए गए सभी तर्कों को खारिज कर दिया और कस्टम्स एक्ट की धारा 108 के तहत दर्ज पाँच बयानों को प्रस्तुत किया, जो कथित रूप से उनकी तस्करी गतिविधियों की पुष्टि करते थे। इन बयानों में दावा किया गया कि 3 मार्च 2025 को राजू विशेष रूप से दुबई गए थे ताकि वहां से सोना इकट्ठा कर सकें और इसे मुख्य आरोपी को सौंप सकें। उसी दिन वह हैदराबाद लौट आए। उनके इस यात्रा के टिकट रन्या राव द्वारा भेजे गए पैसों से बुक किए गए थे, जो उन्हें इस तस्करी नेटवर्क से जोड़ता है। जांचकर्ताओं ने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं है जब राजू ने सोने की तस्करी में भूमिका निभाई हो। उन पर कम से कम दो अन्य तस्करी मामलों में शामिल होने का आरोप है।
बचाव पक्ष को क्यों झटका लगा?
अदालत ने इस तथ्य को भी ध्यान में रखा कि राजू अक्सर विदेश यात्रा करते हैं। उन्होंने रन्या राव के साथ 25 बार दुबई की यात्रा की थी, जिससे उनके भागने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है। अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि यह मामला केवल कर चोरी का नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय आर्थिक सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर अपराध है। अभियोजन पक्ष ने कहा, "यह सिर्फ सीमा शुल्क चोरी का मामला नहीं है। यह देश की आर्थिक स्थिरता को नुकसान पहुंचाने वाला अपराध है।"
मुख्य आरोपी रन्या राव की स्थिति
इस बीच, मुख्य आरोपी रन्या राव अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें 3 मार्च 2025 को बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था, जब वे कथित तौर पर दुबई से 14.8 किलोग्राम सोना तस्करी करके ला रही थीं। उनका पिछला जमानत आवेदन 14 मार्च को खारिज कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने एक बार फिर जमानत के लिए अपील की है। हाल ही में, रन्या राव ने राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपनी निर्दोषता का दावा किया। पत्र में एक अंश कथित रूप से कहता है, "एक अधिकारी ने मेरे पिता की पहचान उजागर करने की धमकी दी, जबकि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं था। मुझे DRI हिरासत में नींद और उचित भोजन से वंचित रखा गया। कोई महाजार नहीं बनाया गया, कोई तलाशी नहीं हुई और मुझसे कुछ भी बरामद नहीं किया गया। कुछ अधिकारी अन्य यात्रियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं और मुझे फंसा रहे हैं।"