नई दिल्ली। तमिलनाडु सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि राज्यपाल ने पूर्व एआईएडीएमके मंत्री के टी राजेन्द्र बालाजी के खिलाफ कैश-फॉर-नौकरी घोटाले में अभियोजन की स्वीकृति दे दी है।
मुख्य न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ — न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी — को राज्य सरकार ने बताया, “राज्यपाल ने पूर्व मंत्री के टी राजेन्द्र बालाजी के खिलाफ अभियोजन की अनुमति प्रदान कर दी है।”
हालांकि, सरकार ने यह भी कहा कि अभी तक इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है।
इससे पहले, 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें बालाजी के खिलाफ सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने यह फैसला तमिलनाडु सरकार सहित दो याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुनाया।
6 जनवरी को मद्रास हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया था कि राज्य सरकार ने चार्जशीट दाखिल करने के उसके पूर्व निर्देशों का पालन नहीं किया, जिसके चलते सीबीआई जांच की जरूरत बताई गई।
17 मार्च की सुनवाई के दौरान, पूर्व मंत्री की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी. गिरी ने दलील दी कि सीबीआई जांच का आदेश बिना पक्षों को सुने दिया गया और यह अनुचित और कारणविहीन स्थानांतरण है।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह तमिल दस्तावेजों का अनुवाद कर दो सप्ताह के भीतर राज्यपाल सचिवालय को सौंपे, ताकि लंबित अभियोजन स्वीकृति पर जल्द निर्णय लिया जा सके।
न्यायालय ने कहा था, "हम तमिलनाडु सरकार को अनुमति देते हैं कि वे दो सप्ताह के भीतर अनुवादित प्रतियां राज्यपाल सचिवालय को दें। इसके बाद राज्यपाल का कार्यालय शीघ्र निर्णय ले। इसी बीच, हम निर्देश देते हैं कि तब तक सीबीआई कोई जांच आगे न बढ़ाए।"
क्या है मामला?
प्रॉसिक्यूशन के अनुसार, पूर्व डेयरी मंत्री के टी राजेन्द्र बालाजी पर आरोप है कि उन्होंने राज्य की डेयरी कंपनी 'आविन' में नौकरियों के बदले रिश्वत लेने का रैकेट चलाया। इस घोटाले में उन्होंने करीब 3 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की, ऐसा आरोप है।
बालाजी पर कई लोगों ने शिकायतें दर्ज करवाई थीं। इनमें से दो निजी व्यक्तियों — एस. रविंद्रन और के. नल्लाथंबी — ने साफ तौर पर कहा कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों की सरकारी नौकरी के लिए लाखों रुपये बालाजी को दिए थे।
गौरतलब है कि के टी राजेन्द्र बालाजी, एआईएडीएमके सरकार में पूर्व दुग्ध विकास मंत्री रह चुके हैं।