UAPA में संशोधन के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इंकार
By: Rajesh Bhagtani Tue, 04 Feb 2025 7:55:58
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूएपीए में संशोधन के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अक्सर जटिल कानूनी मुद्दे उठते हैं और उच्च न्यायालयों को पहले इसकी जांच करनी चाहिए। बता दें इन संशोधनों के तहत राज्य को व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने और उसकी संपत्ति की जब्त करने का अधिकार दिया गया है।
यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष आया। जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन शामिल थे। पीठ ने कहा, "हम प्रथम दृष्टया न्यायालय नहीं हो सकते। बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, कभी-कभी मुद्दे आपके पक्ष (याचिकाकर्ता) द्वारा छोड़े जाते हैं, कभी-कभी उनके पक्ष (संघ) द्वारा, फिर हमें एक बड़ी पीठ को मामला भेजना पड़ता है। पहले उच्च न्यायालय द्वारा इसका निर्णय लिया जाए।" सजल अवस्थी, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) और अमिताभ पांडे ने याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने पीठ से मामले की सुनवाई करने का अनुरोध किया। बताया कि याचिकाओं पर पांच साल पहले नोटिस जारी किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह तर्क दिया गया कि याचिकाओं का निपटारा करने के बजाय मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जा सकता है। वकील ने याचिकाकर्ताओं के समक्ष आने वाली रसद संबंधी कठिनाइयों की ओर इशारा किया, क्योंकि उनमें से कई सेवानिवृत्त नौकरशाह थे। सर्वोच्च न्यायालय ने इस दलील को स्वीकार कर लिया और कहा कि याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा।
यूएपीए को क्यों दी चुनौती
सितंबर 2019 में, सर्वोच्च न्यायालय ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) में 2019 संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ताओं में से एक द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि संशोधित प्रावधान नागरिकों के मौलिक अधिकारों जैसे समानता का अधिकार, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अलावा जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
यूएपीए, 2019 आतंकवाद पर अंकुश लगाने की आड़ में सरकार को असहमति के अधिकार पर अप्रत्यक्ष प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है। यूएपीए में संशोधन के लिए विधेयक 2 अगस्त, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था और उसी वर्ष 9 अगस्त को इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली थी। संशोधित कानून में आतंकवादी घोषित होने के बाद ऐसे व्यक्तियों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने का भी प्रावधान है।