भारतीय शेयर बाजार में आज भारी बिकवाली देखने को मिली। सेंसेक्स 1,414 अंकों की गिरावट के साथ 73,198 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 422 अंक गिरकर 22,122 पर आ गया। बाजार में यह गिरावट कई कारणों से आई, जिनमें आर्थिक मंदी की आशंका, कंपनियों के कमजोर नतीजे, अमेरिकी टैरिफ नीति, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर इंडेक्स का बढ़ना शामिल है। आइए जानते हैं, इस बड़ी गिरावट के पीछे के 5 प्रमुख कारण।
1. अमेरिकी टैरिफ नीति से बढ़ी अनिश्चितता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको से आने वाले सामान पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है, जो 4 मार्च से प्रभावी होगा। इसके अलावा, चीन से आने वाले उत्पादों पर 10% ड्यूटी और यूरोपीय यूनियन के शिपमेंट पर 25% शुल्क लगाने का दोहराव किया गया है। इस फैसले से वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ गई है, जिससे भारतीय बाजार पर भी असर पड़ा।
2. आईटी शेयरों में भारी गिरावट
अमेरिकी टेक कंपनियों, खासतौर पर एनवीडिया और अन्य "मैग्निफिसेंट सेवन" स्टॉक्स में बड़ी गिरावट के बाद भारतीय आईटी शेयरों पर भी दबाव देखा गया। निफ्टी आईटी इंडेक्स 4.2% टूट गया, जबकि टेक महिंद्रा, विप्रो और एमफैसिस जैसी कंपनियों के शेयरों में 5% से 6.5% तक की गिरावट आई।
डॉलर इंडेक्स में उछाल
ट्रेड वॉर की बढ़ती चिंताओं के कारण अमेरिकी डॉलर मजबूत हो रहा है। डॉलर इंडेक्स शुक्रवार को 107.36 के स्तर पर पहुंच गया, जो वैश्विक बाजारों के लिए नकारात्मक संकेत है। मजबूत डॉलर के चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपनी पूंजी निकाल रहे हैं, जिससे बाजार में दबाव बना हुआ है।
विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली
NSDL डेटा के मुताबिक, 2025 में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 1,13,721 करोड़ रुपये की निकासी की है। फरवरी में ही अब तक 47,349 करोड़ रुपये के शेयर बिक चुके हैं। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 52,544 करोड़ रुपये की खरीदारी की है, लेकिन वे एफआईआई की बिकवाली की भरपाई करने में असमर्थ रहे हैं।
घरेलू निवेशक उच्च स्तरों पर फंसे
विशेषज्ञों के मुताबिक, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने उच्च स्तरों पर खरीदारी की थी, जिससे वे मौजूदा गिरावट में फंसे हुए हैं। जब तक बाजार में स्थिरता नहीं आती, तब तक डीआईआई आक्रामक खरीदारी से बच सकते हैं। इससे बाजार को स्थिरता मिलने में समय लग सकता है।