राजस्थान राज्य सूचना आयोग (RIC) ने नगर निगम ग्रेटर (Jaipur Greater Municipal Corporation) के स्टेट पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिसर (गौशाला) पर 2500 रुपये का जुर्माना लगाया है। सूचना का अधिकार (RTI) के तहत जानकारी देने में विफलता पर यह जुर्माना लगाया गया। सूचना आयुक्त सुरेश चंद गुप्ता ने अपने आदेश में कहा कि जोन उपायुक्त (गौशाला) का यह रवैया सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रति उनकी लापरवाही को दर्शाता है।
डेढ़ साल बाद भी नहीं मिला था जवाब
वास्तव में, एडवोकेट बरजंग सिंह शेखावत ने जयपुर नगर निगम ग्रेटर के ऑनलाइन पोर्टल पर पालतू पशुओं को घर पर रखने के संबंध में एक शिकायत दर्ज की थी। इसमें शिकायत के निस्तारण के बारे में जानकारी मांगी गई थी। इसके लिए उन्होंने 07 सितंबर 2023 को आरटीआई आवेदन दायर किया था, लेकिन डेढ़ साल बाद भी उन्हें जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद, उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत प्रथम अपील दायर की, लेकिन फिर भी सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई।
नोटिस का जवाब तक नहीं दिया
इसके बाद, परिवादी ने राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की। आयोग ने 7 जून 2024 को गौशाला उपायुक्त को आदेश दिया कि वह परिवादी को सूचना प्रदान करें। लेकिन निगम उपायुक्त ने आदेश का पालन नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप, परिवादी ने फिर से राज्य सूचना आयोग में शिकायत दायर की। इस पर आयोग ने निगम उपायुक्त को नोटिस जारी करते हुए उन्हें 15 दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया। लेकिन उपायुक्त ने न तो नोटिस का पालन किया, न ही व्यक्तिगत रूप से पेश हुए और न ही धारा 20(1) के नोटिस पर कोई स्पष्टीकरण दिया।
वेतन से काटी जाएगी जुर्माना राशि
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि निगम उपायुक्त का यह रवैया यह दर्शाता है कि उन्होंने जानबूझकर सूचना देने में देरी की। इसलिए, आयोग ने उन्हें दोषी ठहराते हुए ढाई हजार रुपये का जुर्माना लगाया। यह जुर्माना उनके वेतन से काटकर 30 दिनों के भीतर आयोग में जमा करवाने का आदेश दिया गया। इसके साथ ही, आयोग ने अपने आदेश की प्रति लेखा शाखा और आयुक्त, नगर निगम ग्रेटर जयपुर को प्रेषित कर दी है।