जैसलमेर जिले में इन दिनों 'कर्रा रोग' (जिसे स्थानीय भाषा में 'करो' कहा जाता है) ने विकराल रूप धारण कर लिया है, और अब तक 500 से ज्यादा पशुओं की मौत हो चुकी है। इस रोग ने जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों की नींद उड़ा दी है, क्योंकि यह तेजी से फैलता जा रहा है। रोग की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने जयपुर से तीन विशेषज्ञों की टीम को भेजा है, जो इस संकट से निपटने के लिए काम कर रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत इस स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं और उन्होंने हालात की समीक्षा के लिए जैसलमेर का दौरा भी किया। मंत्री कुमावत ने अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की और पूरे घटनाक्रम का जायजा लिया।
जयपुर से आई टीम का दौरा और सैंपलिंग
जयपुर से भेजी गई विशेषज्ञों की टीम में डॉ. एस. के. झीरावला, डॉ. विकास कालव और डॉ. संदीप कुमार शर्मा शामिल थे। इस टीम ने जिले के विभिन्न गांवों जैसे बडोड़ा, मुलाना, रीदवा, हमीरा, भागु का गांव, असायच, सोनू और मोकला चांधन का दौरा किया। टीम ने मौके पर जाकर ग्रामीणों से बातचीत की और पशुओं की स्थिति का मूल्यांकन किया। इसके अलावा, टीम ने मिट्टी, चारा और रक्त सैंपल लिए, जिन्हें जयपुर स्थित वेटरिनरी यूनिवर्सिटी की लैब में भेजा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कर्रा रोग एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो दूषित चारे, पानी या मिट्टी के माध्यम से फैलता है। यह मुख्य रूप से मवेशियों को प्रभावित करता है और उनके पाचन तंत्र, लीवर, और तंत्रिका प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है। रोग के लक्षणों में भूख न लगना, शरीर में सूजन, तेज बुखार, सुस्ती, आंखों से पानी आना, मुंह से झाग निकलना और अचानक मौत तक शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस रोग को समय पर नियंत्रित नहीं किया गया तो यह पूरे झुंड में तेजी से फैल सकता है। इस बीच, पशु चिकित्सकों का कहना है कि दूषित जल स्रोत या चारा इस रोग के फैलने के मुख्य कारण हो सकते हैं। जबकि रोग का कोई स्थायी इलाज फिलहाल उपलब्ध नहीं है, इसे लक्षणों के आधार पर नियंत्रित किया जा रहा है।
विभाग का जागरूकता अभियान शुरू:
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. उमेश वरगंटीवार ने बताया कि सरकार ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए सतर्कता बरती जा रही है. पशुपालन विभाग की ओर से विशेष टीमें बनाई गई है. यह गांव-गांव जाकर पशुपालकों को जागरूक कर रही है. प्रत्येक गांव में पशु चिकित्सकों की नियुक्ति की जा रही है और सैंपलिंग का काम युद्धस्तर पर जारी है. इसके अलावा, सरकार ने जांच रिपोर्ट आने तक रोग नियंत्रण के लिए प्राथमिक उपायों को लागू करने का निर्देश दिया है. विभागीय अफसरों का मानना है कि आने वाले सप्ताह इस रोग पर काबू पाने की दिशा में निर्णायक होंगे.
डर, लेकिन उम्मीद भी जगी:
गोवंश की मौतों से डर का माहौल है. कई ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कभी इस तरह का रोग पहले नहीं देखा. हालांकि, सरकार की तत्परता और विशेषज्ञों की टीम की सक्रियता ने उन्हें थोड़ी राहत भी दी है. एक पशुपालक ने कहा, 'अगर सरकार इसी तरह मुस्तैदी से काम करती रही, तो जल्द ही इस बीमारी से निजात मिल सकती है.' जैसलमेर में फैला कर रोग अब राज्य सरकार के लिए एक बड़ी परेशानी बन गया है. हालांकि, मुख्यमंत्री से लेकर विशेषज्ञों तक हर स्तर पर सक्रियता दिख रही है. इस रोग का इलाज अभी भले ही उपलब्ध न हो, लेकिन समुचित निगरानी, सही खानपान और जागरूकता के जरिए इस संकट से बचाव संभव है. आने वाले दिन तय करेंगे कि सरकार और ग्रामीण मिलकर इस संकट से कितनी जल्दी उबर पाते हैं.