कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को नागरिकता मामले में सोमवार (5 मई 2025) को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ से राहत मिली है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में जल्द से जल्द अंतिम निर्णय ले और याचिकाकर्ता को इस बारे में सूचित करे। हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है कि यह मुद्दा दो देशों की सरकारों से जुड़ा हुआ है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि केंद्र सरकार की ओर से कोई अंतिम फैसला लिया जाता है, तो याचिकाकर्ता फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि अब पूरी जिम्मेदारी भारत सरकार की है और यदि भारत सरकार कोई निर्णय नहीं लेती है, तो यह अदालत की अवमानना मानी जाएगी। कोर्ट ने राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर दाखिल याचिका को निस्तारित कर दिया है, यानी अब यह मामला समाप्त कर दिया गया है।
याचिका में किया गया दावा: राहुल गांधी के पास है यूके की नागरिकता
इस मामले में याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाते हुए इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच की मांग की थी। याचिका में दावा किया गया कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी यूनाइटेड किंगडम (यूके) की नागरिकता रखते हैं।
याचिकाकर्ता ने यह आरोप लगाया कि ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं जो यह दर्शाते हैं कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस दोहरी नागरिकता को लेकर उन्होंने दो बार सक्षम अधिकारियों को शिकायत भेजी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने के चलते यह याचिका दायर करनी पड़ी।
दिल्ली हाई कोर्ट में भी उठ चुका है मामला
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 के तहत कोई भी व्यक्ति एक साथ भारतीय और किसी अन्य देश की नागरिकता नहीं रख सकता है। इससे पहले भी भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली हाई कोर्ट में राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर इसी प्रकार की याचिका दाखिल की थी। हालांकि, अदालत ने कहा था कि जब तक इलाहाबाद हाई कोर्ट की पीठ में दायर याचिका पर स्पष्टता नहीं मिल जाती, वह इस मामले में सुनवाई नहीं करेगा।