जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में उस स्थान को लेकर याचिका दाखिल की गई है, जहां आतंकियों ने 26 पर्यटकों को उनकी धार्मिक पहचान पूछकर बेरहमी से मार डाला था। मंगलवार को यह याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल हुई, जिसमें मांग की गई कि इस स्थान का नाम ‘शहीद हिंदू घाटी टूरिस्ट प्लेस’ रखा जाए और इस हमले में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिया जाए।
इस जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल की खंडपीठ ने सुनवाई की और इसे खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी स्थान का नामकरण करना या किसी व्यक्ति को शहीद का दर्जा देना न्यायपालिका का कार्यक्षेत्र नहीं है, बल्कि यह निर्णय सरकार या संबद्ध प्राधिकरण द्वारा ही लिया जा सकता है।
पीठ ने कहा, "किसी स्थान को कोई नाम देना, स्मारक घोषित करना या नाम बदलना सरकार का कार्य है। इसी तरह, किसी मृत व्यक्ति को बलिदानी या शहीद का दर्जा देना भी न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। यह पूरी तरह से नीति निर्धारण का विषय है, जो कि संसद या विधानसभा का अधिकार क्षेत्र है।"
हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता को सुझाव दिया कि वह सरकार के समक्ष ज्ञापन प्रस्तुत कर सकते हैं, और अगर उचित पाया गया, तो उस पर कानूनी दायरे में विचार किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि ऐसी नीतिगत मांगों पर हम कोई निर्णय नहीं ले सकते।
इसके साथ ही खंडपीठ ने याचिका को आधिकारिक रूप से खारिज कर दिया। इससे पहले, 6 मई को हुई सुनवाई में अदालत ने यह सवाल उठाया था कि क्या अनुच्छेद 226 के तहत इस तरह के मुद्दे पर अदालत हस्तक्षेप कर सकती है।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ था, जिसमें आतंकियों ने एक नेपाली नागरिक समेत 26 पर्यटकों की हत्या कर दी थी। हमले के दौरान आतंकियों ने पहले यह पूछा कि वे किस धर्म के हैं। जब जवाब मिला कि वे मुसलमान नहीं बल्कि हिंदू हैं, तो उन्हें बिलकुल करीब से गोली मार दी गई, ताकि कोई बच न सके।
भारत सरकार ने इस क्रूर हमले का जवाब देने के लिए पीओके और पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया। इस जवाबी कार्रवाई को ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया, जिसे भारत की तरफ से आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश माना जा रहा है।