किसी भी पार्टी के खिलाफ नहीं, करते हैं केवल गलत फैसलों का विरोध : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
By: Sandeep Gupta Tue, 04 Feb 2025 12:36:50
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद, जो हमेशा केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ अपने बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं, महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर भी लगातार निशाने साध रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि वह हमेशा भाजपा सरकारों के खिलाफ ही बयान क्यों देते हैं, तो उन्होंने इसका स्पष्ट जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वह किसी भी पार्टी के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वह केवल गलत कामों का विरोध करते हैं।
अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने बयान में आगे कहा, "जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, तब उन्होंने गणेश जी की प्रतिमा को बीच रास्ते में रोक दिया था। वह प्रतिमा दो दिनों तक वहीं रुकी रही, पूजा, पाठ और विसर्जन कुछ नहीं हुआ। हमने इसका विरोध किया था और बहुत से लोग हमारे साथ खड़े थे। लेकिन बाद में हमें लाठीचार्ज का सामना करना पड़ा। हमने इसका विरोध किया, एक प्रतिकार यात्रा निकाली और अखिलेश यादव को चुनौती दी कि तुमने यह अधर्म किया है, अब तुम सत्ता से चले गए।"
उन्होंने यह भी कहा कि वह सिर्फ गलत फैसलों और अधर्म के खिलाफ हमेशा खड़े रहे हैं, चाहे वह किसी भी सरकार के तहत हो।
काशी में मंदिर तोड़ने पर मायावती का विरोध
'यूपी तक' से बातचीत के दौरान शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, "जब मायावती उत्तर प्रदेश में शासन कर रही थीं, तब उन्होंने काशी में मंदिर तोड़ने की शुरुआत की थी। हम खड़े हुए और उनके खिलाफ एक बड़ा आंदोलन शुरू किया। हमें मायावती से लिखित वचन लेना पड़ा कि अब वह मंदिर नहीं तोड़ेंगी। तब जाकर हमने अपना आंदोलन वापस लिया था। वह पत्र आज भी हमारे पास सुरक्षित है।"
राम सेतू को लेकर कांग्रेस का विरोध
अविमुक्तेश्वरानंद ने आगे कहा, "जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी, तब उन्होंने राम सेतू को तोड़ने की योजना बनाई थी। उस समय मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। राम सेतू की रक्षा के लिए हमने सबसे बड़ा आंदोलन किया था। यह आंदोलन हमने सत्ता के खिलाफ किया था। उसके बाद 2012 से 2014 के बीच गंगा के लिए भी आंदोलन किया। तब भी केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। अब बीजेपी सरकारें हैं, तो अब इनके खिलाफ भी आंदोलन कर रहे हैं।"
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी यह नहीं देखा कि कौन सी पार्टी या नेता हैं, बल्कि उनका विरोध उस समय हुआ जब उन्होंने गलत काम या गड़बड़ी की।
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