जयपुर: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने सवाल उठाया कि भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरे पक्ष की भूमिका को लेकर मोदी सरकार अब तक क्यों चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने इस पर स्पष्ट जवाब देने की मांग की। साथ ही कांग्रेस नेता शशि थरूर को भाजपा डेलिगेशन में शामिल किए जाने को लेकर भी कड़ा ऐतराज जताया।
हमारी लड़ाई आतंकवाद से है, न कि किसी देश से – गहलोत
सोमवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए गहलोत ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरा देश एकजुट था। राहुल गांधी ने विपक्ष को साथ लेकर सरकार को समर्थन दिया, जिससे देशवासियों को उम्मीद जगी कि सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की लेकिन सिविलियन या पाक सेना के अड्डों पर हमला नहीं कर यह स्पष्ट किया कि भारत की लड़ाई केवल आतंकवाद से है।
इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति की अचानक एंट्री होती है और वे सीजफायर की घोषणा कर देते हैं। गहलोत ने इसे खतरनाक करार देते हुए सवाल उठाया कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।
ट्रंप कोई मामूली व्यक्ति नहीं – उनके दावे पर सरकार चुप क्यों?
गहलोत ने कहा कि आजादी से लेकर मनमोहन सिंह की सरकार तक कभी किसी तीसरे पक्ष की भारत-पाक रिश्तों में भूमिका नहीं रही। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, वाजपेयी, देवगौड़ा या गुजराल – किसी के दौर में भी ऐसा नहीं हुआ। बातचीत केवल भारत और पाकिस्तान के बीच हुई, चाहे वह कश्मीर हो या अन्य मुद्दे।
अब पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुले तौर पर कहते हैं कि उन्होंने सीजफायर कराया, और कश्मीर का मुद्दा भी हल करवा सकते हैं। यह बहुत गंभीर मामला है क्योंकि ट्रंप विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति हैं। उनके बयान के मायने होते हैं, लेकिन मोदी सरकार अब भी इस पर खामोश है।
डैमेज कंट्रोल के लिए भाजपा निकाल रही तिरंगा यात्रा
गहलोत ने कहा कि मोदी सरकार अब तक यह नहीं स्पष्ट कर पाई है कि क्या उसे किसी तीसरे देश की मध्यस्थता मंजूर थी? ट्रंप लगातार बयान दे रहे हैं, जिससे देश की जनता में रोष है और मोदी सरकार को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। अब भाजपा और केंद्र सरकार डैमेज कंट्रोल के लिए तिरंगा यात्रा निकाल रही है – जो कि राजनीति से प्रेरित है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी सेना के सम्मान में तिरंगा यात्रा निकाली थी लेकिन उसमें राजनीति नहीं थी। आज जब विपक्ष लगातार सरकार से ट्रंप के बयानों पर प्रतिक्रिया मांग रहा है, तब भी सरकार मौन है।
थरूर को लेकर पार्टी की स्थिति स्पष्ट – यह गलत राजनीति है
पूर्व मुख्यमंत्री ने शशि थरूर को भाजपा डेलिगेशन में शामिल करने को लेकर कहा कि पार्टी की राय अब स्पष्ट हो चुकी है – जिसे जाना है वह जाए। लेकिन उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह इतने संवेदनशील मसलों में भी राजनीतिक चालें चल रही है और विपक्ष को कमजोर करने की साजिश कर रही है।
गहलोत ने कहा कि जब विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चार नाम सुझाए थे, तो उन्हीं चार नामों को प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया जाना चाहिए था। इस तरह की राजनीति उचित नहीं है।
थरूर को पार्टी से बात करनी चाहिए थी
गहलोत ने कहा कि शशि थरूर एक योग्य व्यक्ति हैं – वे संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के उम्मीदवार रह चुके हैं, विदेश राज्य मंत्री रह चुके हैं और कांग्रेस के टिकट पर बार-बार चुनाव जीतते आ रहे हैं। ऐसे में उनकी जिम्मेदारी बनती है कि यदि उन्हें भाजपा की ओर से कोई प्रस्ताव मिलता है, तो वे पार्टी हाईकमान से बात करें। जब आतंकवादी हमले के बाद पूरा विपक्ष एकजुट है, तब इस प्रकार की राजनीति ठीक नहीं।
भाजपा विधायक को बचाने में लगे हैं स्पीकर – गहलोत
भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा के मामले में अब तक कार्रवाई न होने पर गहलोत ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि देवनानी भाजपा विधायक को बचा रहे हैं, जबकि उन्होंने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा की गैरमौजूदगी में उनके खिलाफ एक घंटे की बहस कराकर उन्हें सस्पेंड कर दिया था।
गहलोत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष किसी दल का नहीं होता। देवनानी वरिष्ठ और अनुभवी हैं – विपक्ष और सत्ता दोनों ने मिलकर उन्हें चुना है। हमने उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था, उन्हें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए।
पूरी सरकार दबाव में है – फैसले दिल्ली या संघ कार्यालय से हो रहे
गहलोत ने आरोप लगाया कि सिर्फ विधानसभा अध्यक्ष ही नहीं, पूरी सरकार दबाव में काम कर रही है। हर फैसला दिल्ली या जयपुर स्थित संघ कार्यालय से तय होता है। यहां तक कि तबादले और पोस्टिंग भी वहीं से हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भले व्यक्ति हैं लेकिन उन्हें अपने अधिकारों का इस्तेमाल करना होगा।
उन्होंने प्रदेश में पड़ रही गर्मी को लेकर भी सरकार की आलोचना की। गहलोत ने कहा कि सरकार को पहले से वैकल्पिक प्रबंध करने चाहिए थे। श्रीगंगानगर जिले में लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। वहां के सांसद और विधायक भी इससे चिंतित हैं। प्रधानमंत्री बीकानेर आ रहे हैं, ऐसे में गहलोत ने सरकार से अपील की कि श्रीगंगानगर, जो बीकानेर डिवीजन में ही आता है, के लिए पीने के पानी की उचित व्यवस्था की जाए।