संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, लिव इन में रहने वाले मौलिक अधिकारों के हकदार
By: Rajesh Bhagtani Sat, 14 Oct 2023 10:08:29
नई दिल्ली। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप कपल से जुड़ा एक फैसला दिया है। इस ऐतिहासिक फैसले में अदालत ने ऐसे लिव-इन जोड़ों के लिए जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों की पुष्टि की है, जिन्हें परिवार की ओर से परेशानी का सामना करना पड़ता है। अदालत एक्सट्रा मेरिटल अफेयर से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी। सुनवाई की अध्यक्षता न्यायमूर्ति अरुण मोंगा कर रहे थे।
कोर्ट ने क्या कहा है?
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने नूंह के पुलिस अधीक्षक ऐसे याचिकाकर्ताओं के सामने मौजूद संभावित खतरों की जांच करने और उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया है। जस्टिस मोंगा ने ऐसे मामलों से निपटने के लिए दिशानिर्देशों की एक रूपरेखा तैयार कारवाई है जिसे हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में सचिवों, गृह विभाग और पुलिस महानिदेशकों सहित विभिन्न प्राधिकरणों को एक आदेश के साथ दिया जाएगा। इन दिशानिर्देशों को हर स्टेशन हाउस अधिकारी (एसएचओ) तक पहुंचाया जाएगा। जिसमें ऐसे मामले शामिल होंगे जहां लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़ों को मदद पहुंचाई जा सके।
किस मामले की सुनवाई कर रही थी अदालत?
यह मामला नूंह की एक महिला के इर्द-गिर्द घूमता है। जिसकी शादी 16 साल की उम्र में उसके माता-पिता ने 2012 में शादी कर दी थी। शादी के बाद महिला ने एक बेटी को जन्म दिया, जो अब 11 साल की है, और उसके दो बेटे हैं, जिनकी उम्र 5 और 3 साल है।
महिला ने अदालत के सामने याचिका के जरिए कहा है कि उसका पति, अक्सर शराब पीता था, उसके साथ शारीरिक शोषण करता था, जब उसने अपने माता-पिता से मदद मांगी तो उन्होंने जोर देकर कहा कि वह अपने पति के साथ ही रहे। इससे बचने के लिए एक साल पहले उसने एक ऐसे आदमी के साथ रहना शुरू कर दिया जिससे उसकी दोस्ती थी, लेकिन जल्द ही उसे अपने परिवार, पति और ससुराल वालों से धमकियों का सामना करना पड़ा। मदद के लिए स्थानीय कानून प्रवर्तन से संपर्क करने के बावजूद उसे कोई मदद नहीं मिली।
न्यायमूर्ति मोंगा ने जोर देकर कहा, “मुख्य मुद्दा याचिकाकर्ताओं के रिश्ते की वैधता नहीं है, जो उन्हें कानून के अनुसार नागरिक और आपराधिक परिणामों के लिए उत्तरदायी बना सकता है। इसके बजाय, यह है कि क्या वे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अपने मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के हकदार हैं।