देश के कुछ प्रमुख रक्षा हवाईअड्डों—जैसे लेह, श्रीनगर, चंडीगढ़, पुणे, जामनगर और बागडोगरा—पर अब यात्रियों को टेक ऑफ और लैंडिंग के समय विंडो शेड्स (खिड़की के पर्दे) बंद रखने होंगे। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने इस संबंध में सभी एयरलाइंस, हेलिकॉप्टर सेवाओं और चार्टर्ड फ्लाइट ऑपरेटरों को आदेश जारी किया है।
नई गाइडलाइन के अनुसार, जब तक विमान टेक ऑफ कर 10,000 फीट की ऊंचाई तक नहीं पहुंच जाता, या लैंडिंग के दौरान सिविल टर्मिनल के पार्किंग बे तक नहीं पहुंचता, तब तक यात्रियों को विंडो शेड्स बंद रखने होंगे। आपातकालीन निकास वाली खिड़कियों को इससे छूट दी गई है।
रक्षा मंत्रालय की सिफारिश पर लिया गया निर्णय
DGCA के मुताबिक यह आदेश रक्षा मंत्रालय की सिफारिश पर 20 मई 2025 को जारी किया गया। इसका मकसद संवेदनशील सैन्य ठिकानों की सुरक्षा को और मजबूत करना है। साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि इन स्थानों पर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी।
भारत में कई एयरबेस सिविल एविएशन के उपयोग में भी आते हैं। लेह, श्रीनगर और बागडोगरा जैसे एयरपोर्ट्स में सैन्य और नागरिक उड़ानों का संचालन एक साथ होता है। इसलिए इन जगहों पर विशेष सावधानी बरतना ज़रूरी हो जाता है।
सुरक्षा बनाम व्यावहारिकता: पायलटों ने जताई आपत्ति
हालांकि कुछ पायलटों का कहना है कि विंडो शेड्स खुले रहने चाहिए, क्योंकि इससे टेक ऑफ और लैंडिंग के दौरान बाहरी खतरों की पहचान में मदद मिलती है। मसलन, अगर इंजन में पक्षी टकरा जाए या तकनीकी खराबी हो, तो यात्री या क्रू सदस्य समय रहते प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
इस पर DGCA ने स्पष्ट किया कि आपातकालीन खिड़कियों को खुला रखने की अनुमति इसलिए दी गई है ताकि इन खतरों पर नजर रखी जा सके। DGCA के एक अधिकारी ने कहा कि इस आदेश की एक हफ्ते के भीतर समीक्षा की जाएगी और जरूरत पड़ने पर इसमें बदलाव भी संभव है।