लखनऊ – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य सामग्री में मिलावट और नकली दवाओं के कारोबार को ‘सामाजिक अपराध’ बताते हुए इसे जनस्वास्थ्य से जुड़ा एक अत्यंत गंभीर मसला करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस प्रकार की गतिविधियों को लेकर कोई भी समझौता अस्वीकार्य होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि राज्य सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति के अनुरूप मिलावट करने वालों, नकली दवाओं का कारोबार करने वालों और इसमें संलिप्त नेटवर्क के खिलाफ कठोर व निर्णायक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
एफएसडीए को दिए सख्त निर्देश
मुख्यमंत्री ने बुधवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में आदेश दिया कि घी, तेल, मसाले, दूध और पनीर जैसी रोजमर्रा की खाद्य वस्तुओं की जांच प्राथमिक रूप से उनके उत्पादन केंद्रों पर ही की जाए। उन्होंने दुग्ध उत्पादों की गहन जांच के लिए विशेष टीमों के गठन का निर्देश दिया, जो लगातार निगरानी रखें। साथ ही, उन्होंने पेशेवर रक्तदाताओं की पहचान कर इस पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करने की बात भी कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि आम जन का स्वास्थ्य राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसे पूर्ण पारदर्शिता और प्रतिबद्धता के साथ सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
राज्य में प्रयोगशालाओं के नेटवर्क का विस्तार
बैठक में बताया गया कि अब तक केवल छह मंडलों में कार्यरत प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त अलीगढ़, अयोध्या, आजमगढ़, बरेली, बस्ती, चित्रकूट, कानपुर, मिर्जापुर, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर और देवीपाटन मंडलों में भी नई खाद्य और औषधि प्रयोगशालाएं व कार्यालय स्थापित किए जा चुके हैं। लखनऊ, गोरखपुर और झांसी में प्रयोगशालाओं का उच्चीकरण किया गया है।
लखनऊ, मेरठ और वाराणसी में तीन अत्याधुनिक माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं, जहां सूक्ष्मजीवों, जीवाणुओं, विषाणुओं, माइक्रोटॉक्सिन्स और रोगकारक कारकों की जांच संभव है। लखनऊ और मेरठ की प्रयोगशालाओं में परीक्षण शुरू भी हो चुके हैं। मुख्यमंत्री ने इन सुविधाओं के दीर्घकालिक संचालन और रखरखाव हेतु एक 'कॉर्पस फंड' के गठन का सुझाव दिया।
नकली दवाओं पर कार्रवाई के लिए पुलिस समन्वय
मुख्यमंत्री ने नकली दवाओं की रोकथाम को लेकर पुलिस और एफएसडीए के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता बताई ताकि प्रवर्तन कार्रवाई अधिक प्रभावशाली हो सके। बैठक में औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए हो रही कार्रवाइयों की भी समीक्षा की गई।
पारदर्शिता और डिजिटल निगरानी की पहल
खाद्य सुरक्षा प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए एफएसडीए द्वारा पासवर्ड-संरक्षित बारकोड प्रणाली लागू की गई है, जिससे नमूनों के परीक्षण की गोपनीयता बनी रहती है और निष्पक्ष परिणाम मिलते हैं। प्रत्येक सैंपल का परीक्षण वैज्ञानिकों द्वारा डिजिटल माध्यम से किया जाता है और उच्चाधिकारियों की स्वीकृति के बाद ही उसे वैध माना जाता है।
जनभागीदारी के लिए मोबाइल ऐप और हेल्पलाइन
जनसहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ‘फूड सेफ्टी कनेक्ट’ मोबाइल ऐप और टोल-फ्री नंबर 1800-180-5533 लॉन्च किया गया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि किसी भी शिकायत का समाधान तभी मान्य माना जाएगा जब शिकायतकर्ता स्वयं संतुष्ट हो।
औषधि और चिकित्सा उपकरण निर्माण में निवेश
मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि पिछले तीन वर्षों में चिकित्सा उपकरण और औषधि विनिर्माण क्षेत्र में 1,470 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव स्वीकृत हुए हैं, जिससे 3,340 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त हुआ है। औषधि निर्माण इकाइयों, मेडिकल डिवाइस निर्माण केंद्रों, रक्तकोषों और फुटकर औषधि विक्रेताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले तीन वर्षों में फुटकर औषधि प्रतिष्ठानों में ही 65,000 से अधिक रोजगार सृजित हुए हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि एफएसडीए की संगठनात्मक क्षमता को मजबूत किया जाए और इसके लिए खाली पदों की शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए।